Category: साहित्य
साहित्य – संगीत – कलाविहीनः, साक्षातपशु पुच्छविषानहीनः. मतलब ये कि जिस इंसान को साहित्य, संगीत और कला में दिलचस्पी नहीं है वो बिना पूँछ के पशु सामान है. और हमें बखूबी पता है कि आप ऐसे नहीं है. आपको तो दिलचस्पी है ही. तो यहाँ पर आपको कहानी, कविता, व्ययंग, प्रहसन और बहुत सारे ऐसे चीज मिलेंगे जिनसे आपकी साहित्यिक दिलचस्पी को पूरा किया जा सकेगा (बी पॉजिटिव).
पुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी
कविता "पुष्प की अभिलाषा" आधुनिक भारत के प्रखर राष्ट्रवादी लेखक, कवि व विलक्षण पत्रकार पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की कृति है. पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बाबई नामक जगह पर हुआ था. पूरा पढ़ें...
कहानी – ठंडा गोश्त
कुलवन्त कौन का ऊपरी होंठ दाँतों तले किचकिचाया, उभरे हुए सीने को भँभोडा, गालों के मुंह भर-भरकर बोसे लिये और चूस-चूसकर उसका सीना थूकों से लथेड़ दिया। पूरा पढ़ें...
कहानी – पंचलाइट (पंचलैट)
गोधन पंचलैट बालना जानता है। लेकिन, गोधन का हुक्का-पानी पंचायत से बंद है। पूरा पढ़ें...
कहानी – लाल पान की बेगम
पूर्णिमा का चाँद सिर पर आ गया है। …बिरजू की माँ ने असली रुपा का मँगटिक्का पहना है आज, पहली बार। बिरजू के बप्पा को हो क्या गया है, गाड़ी जोतता क्यों नहीं, मुँह की ओर एकटक देख रहा है, मानो नाच की लाल पान की… पूरा पढ़ें...
चालाक महाजन और मेहनती चित्रकार – अकबर बीरबल की कहानी
एक बार एक महाजन को अपना चित्र बनवाने का शौक लगा। उसने एक चित्रकार को बुलवाकर अपना चित्र बनाने को कहा। पूरा पढ़ें...
माली और मटका चोर – अकबर बीरबल की कहानी
एक बार की बात हैं बीरबल अपने गाँव से गुजर रहे थे कि तभी उन्हें किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी। उन्होंने जब चारों और देखा तो उन्हें एक बूढा आदमी दिखा। बीरबल ने उसके पास जाकर देखा तो पता चला कि ये तो राजा अकबर के बगीचे में काम करने वाला माली हैं। पूरा पढ़ें...
पेड़ की गवाही – अकबर बीरबल की कहानी
रोशन जीवन के अंतिम पड़ाव में था इसलिए वह तीर्थयात्रा पर जाना चाहता था । उसने अपने जीवन भर की कमाई एक जगह एकत्रित कर रखी थी पूरा पढ़ें...
बाढ़ और राहत बचाव कार्य – तेनालीराम की कहानी
एक बार विजयनगर में बाढ़ के कारण गावं के गावं पानी में डूब गए जिसकी वजह से गावं के लोगो का काफी नुकसान हो गया। जब महाराज कृष्णदेव राय को इस प्राकृतिक आपदा के बारें में बताया गया तो उन्होंने फ़ौरन एक मंत्री को राज्यभर में राहत कार्य शुरू करने को कहा। पूरा पढ़ें...
तेनालीराम के बाग की सिंचाई – तेनालीराम की कहानी
एक बार विजयनगर में भीषण गर्मी के कारण सूखे की स्थिति पैदा हो गई। राज्य की नदियों -तालाबों का जलस्तर घट जाने के कारण पानी की विकट समस्या खड़ी हो गई। सूखे के कारण नगर के सभी बाग़ – बगीचे भी सूखने लगे। पूरा पढ़ें...
मटके में मुंह – तेनालीराम की कहानी
एक बार महाराज कृष्णदेव राय किसी बात पर तेनालीराम से नाराज हो गए। गुस्से में आकर उन्होंने तेनालीराम से भरी राजसभा में कह दिया कि कल से मुझे दरबार में अपना में अपना मुंह मत दिखाना। उसी समय तेनालीराम दरबार से चला गया। पूरा पढ़ें...