कहानी – दो गज जमीन

यह कहानी पढ़ लेंगे तो आप अनावश्यक रूप से खुद को परेशान करना बंद कर देंगे. पूरा पढ़ें...

कहानी – दो गज जमीन

कहानी – तीन प्रश्नों के उत्तर

महात्मा की कुटिया तक पहुँचने पर राजा ने देखा कि वे अपनी कुटिया के सामने बने छोटे से बगीचे में फावड़े से खुदाई कर रहे थे। पूरा पढ़ें...

कहानी – तीन प्रश्नों के उत्तर

कहानी – तीन संत

“हमारी प्रार्थना है – ईश्वर तीन है और हम भी तीन हैं, इसलिए हम प्रार्थना करते हैं – ‘तुम तीन हो और हम तीन हैं, हम पर दया करो’ – यही हमारी प्रार्थना है।” पूरा पढ़ें...

कहानी – तीन संत

कहानी – पिंजर

जब मैं पढ़ाई की पुस्तकें समाप्त कर चुका तो मेरे पिता ने मुझे वैद्यक सिखानी चाही और इस काम के लिए एक जगत के अनुभवी गुरु को नियुक्त कर दिया। मेरा नवीन गुरु केवल देशी वैद्यक में ही चतुर न था, बल्कि डॉक्टरी भी जानता था। पूरा पढ़ें...

कहानी – पिंजर

कहानी – बोध

पंडित चंद्रधर ने अपर प्राइमरी में मुदर्रिसी तो कर ली थी, किन्तु सदा पछताया करते थे कि कहाँ से इस जंजाल में आ फँसे। यदि किसी अन्य विभाग में नौकर होते, तो अब तक हाथ में चार पैसे होते, आराम से जीवन व्यतीत होता। पूरा पढ़ें...

कहानी – बोध

कहानी – रसप्रिया

हाँ, यह जीना भी कोई जीना है! निर्लज्जता है, और थेथरई की भी सीमा होती है। ...पंद्रह साल से वह गले में मृदंग लटका कर गाँव-गाँव घूमता है, भीख माँगता है। ...दाहिने हाथ की टेढ़ी उँगली मृदंग पर बैठती ही नहीं है, मृदंग क्या बजाएगा! पूरा पढ़ें...

कहानी – रसप्रिया

कहानी – नैना जोगिन

अटना का साहब और पटना की मेम, रात खाए मुरगी और सुबह करे नेम, तेरा झुमका और नथिया और साबुन महकौवा - तू पान में जरदा खाए नखलौवा...! पूरा पढ़ें...

कहानी – नैना जोगिन

व्ययंग – दो नाक वाले लोग

नाक उनकी काफी लंबी थी। मेरा ख्याल है, नाक की हिफाजत सबसे ज्यादा इसी देश में होती है। और या तो नाक बहुत नर्म होती है या छुरा बहुत तेज, जिससे छोटी-सी बात से भी नाक कट जाती है। पूरा पढ़ें...

व्ययंग – दो नाक वाले लोग

कहानी – शराब की दुकान

पाँच-छह खद्दरदारी मनुष्यों को देख कर सभी लोग उनकी ओर शंका और कुतूहल से ताकने लगे। दूकानदार ने चुपके से अपने एक नौकर के कान में कुछ कहा और नौकर दूकान से उतर कर चला गया। . . . पूरा पढ़ें...

कहानी – शराब की दुकान

कहानी – भिखारिन

अन्धी ने अपनी झोंपड़ी में एक हांडी गाड़ रखी थी। संध्या-समय जो कुछ मांगकर लाती उसमें डाल देती और उसे किसी वस्तु से ढांप देती। इसलिए कि दूसरे व्यक्तियों की दृष्टि उस पर न पड़े। खाने के लिए अन्न काफी मिल जाता था। उससे काम चलाती। पूरा पढ़ें...

कहानी – भिखारिन