Category: कहानियाँ
कहानी पढ़ना जीवन में किये गए सबसे उत्तम कामों में से एक होता है और बेजोड़ जोड़ा आपको यह काम करवाने में मदद कर रहा है. पुण्य तो मिलनी ही चाहिए.
कहानी – दो बैलों की कथा
जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। पूरा पढ़ें...
कहानी – बड़े घर की बेटी
जिस तरह सूखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है-उसी तरह क्षुधा से बावला मनुष्य जरा-जरा सी बात पर तिनक जाता है। लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बहुत बुरी मालूम हुई, तिनक कर बोला-मैके में तो चाहे घी की नदी बहती हो पूरा पढ़ें...
कहानी: एक चिनगारी घर को जला देती है
लियो टॉलस्टॉय एक रुसी लेखक थे. या फिर यूँ कहे कि अब तक के सबसे महान साहित्यकारों में से एक थे. उन्होंने अनेक कृतियों की रचना की. उनके लिखे कहानी को संसार के लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. टॉलस्टॉय के कहानी "एक चिनगारी घर को जला देती है" को हिंदी में अनुवाद किये है हिंदी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद. पूरा पढ़ें...
कहानी – डिमॉन्सट्रेशन
मेज पर ड्रामे की हस्तलिपि पड़ी हुई थी। ड्रामेटिस्ट ने उसे उठा लिया। गुरुप्रसाद ने दीन नेत्रों से विनोद की ओर देखा, विनोद ने अमर की ओर, अमर ने रसिक की ओर, पर शब्द किसी के मुँह से न निकला। सेठजी ने मानो, सभी के मुँह-सी दिये हों। ड्रामेटिस्ट साहब किताब लेकर चल दिये। पूरा पढ़ें...
कहानी – काबुलीवाला by Rabindranath Tagore
काबुलीवाला रबीन्द्रनाथ टैगोर की ऐसी कहानियों में से एक है जिनको आप जब भी पढ़ेंगे आपकी आँखें नाम हो जाएगी. एक बच्ची और काबुली बेचने वाले के बीच जो करुण रिश्ता है उसको शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता. उसे आप आँखें मूंदकर बस महसूस करना चाहते है. पूरा पढ़ें...
कहानी – विद्रोही
पाँच साल की होगी। बचपन का वह दिन आज भी आँखों के सामने है, जब तारा एक फ्रॉक पहने, बालों में एक गुलाब का फूल गूंथे हुए मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी। पूरा पढ़ें...
कहानी – संवदिया
हरगोबिन को अचरज हुआ - तो, आज भी किसी को संवदिया की जरूरत पड़ सकती है! इस जमाने में, जबकि गांव गांव में डाकघर खुल गए हैं, संवदिया के मार्फत संवाद क्यों भेजेगा कोई? पूरा पढ़ें...
कहानी – कफ़न
मेरी औरत जब मरी थी, तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नहीं; और फिर मुझसे लजाएगी कि नहीं? जिसका कभी मुँह नहीं देखा, आज उसका उघड़ा हुआ बदन देखूँ! उसे तन की सुध भी तो न होगी? मुझे देख लेगी तो खुलकर हाथ-पाँव भी न पटक सकेगी! पूरा पढ़ें...
कहानी – एक आदिम रात्रि की महक
करमा अपने हाथ का बना हुआ हलवा-पूरी उस छौंड़ी को नहीं खिला सका। एक दिन कागज की पुड़िया में ले गया। लेकिन वह पसीने से भीग गया। उसकी हिम्मत ही नहीं हुई। पूरा पढ़ें...
कहानी – दिल की रानी
तैमूर ने कितनी मुहब्बत से हबीब के सफर की तैयारियाँ की। तरह-तरह के आराम और तकल्लुफ की चीजें उसके लिये जमा कीं। उस कोहिस्तान में यह चीजें कहाँ मिलेंगी। वह ऐसा संलग्न था, मानों माता अपनी लड़की को ससुराल भेज रही हो। पूरा पढ़ें...