Category: मित्रलाभ
पंचतंत्र के इस भाग में चर्चा की गयी है मित्रता की महत्व पर. मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ किस तरह से उचित है और किस तरह से अनुचित.
अभागा बुनकर – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
एक नगर में सोमिलक नाम का जुलाहा रहता था । विविध प्रकार के रंगीन और सुन्दर वस्त्र बनाने के बाद भी उसे भोजन-वस्त्र मात्र से अधिक धन कभी प्राप्त नहीं होता था । पूरा पढ़ें...
व्यापारी के पुत्र की कहानी – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए। पूरा पढ़ें...
ब्राह्मणी और तिल के बीज – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
एक बार की बात है एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था, एक समय उनके यहाँ कुछ अतिथि आये, घर में खाने पीने का सारा सामान ख़त्म हो चुका था, इसी बात को लेकर ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्नी में यह बातचीत हो रही थी: पूरा पढ़ें...
गजराज और मूषकराज की कथा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
प्राचीन काल में एक नदी के किनारे बसा नगर व्यापार का केन्द्र था। फिर आए उस नगर के बुरे दिन, जब एक वर्ष भारी वर्षा हुई। नदी ने अपना रास्ता बदल दिया। पूरा पढ़ें...
साधु और चूहा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
महिलरोपयम नामक एक दक्षिणी शहर के पास भगवान शिव का एक मंदिर था। वहां एक पवित्र ऋषि रहते थे और मंदिर की देखभाल करते थे। वे भिक्षा के लिए शहर में हर रोज जाते थे, पूरा पढ़ें...