कोई दिन गर ज़िंदगानी और है

ग़ालिब साहब की हर शायरी को आराम से समझना होता है, इनकी हर लफ्ज़ कुछ अलग बयां करती है. पूरा पढ़ें...

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है