Ajay Devgan as in Ek Aaisi Ladki

ज़ुबान से तो सब बात करते है. आँखों से बात करनी हो तो अजय देवगन से मिलो. .!!

Ajay Devgan

इस इंसान के बारे में जितना भी लिख दो, कम ही पडेगा. और अगर सब कुछ पढ़ना भी शुरू कर दिया तो आँखें खुली की खुली रह जाएँगी. शानदार अदायगी, बेहतरीन कद-काठी और बोलती हुई आँखों के मालिक अजय देवगन. आज इनका हैप्पी वाला बड्डे है. ये अब तक 49 वसंत देख चुके है. अर्धशतक मारने से बस एक कदम दूर. सिर्फ 22 बरस की उमर में जब एक लहराती जुल्फों वाला नौजवान दो मोटरसाईकल पर पैर रख कर सिल्वर स्क्रीन पर अपना एंट्री मारा तो बड़े-बड़े दिग्गजों की आँखे चमक गयी. तो आईए इनके अविश्वसनीय फ़िल्मी सफर के बारे में कुछ बातें करते है.

Ajay Devgan film snap

अब तक सौ से भी ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले अजय देवगन अपने अब तक के कुल जमा 27 सालों के अभूतपूर्व फ़िल्मी सफर में हर तरह के किरदार को परदे पर जिया है.

डॉन बने तो पुलिसों की शामत आ जाती हैं. ऑफिसर बने तो भ्रष्ट व्यापारी अपनी जमीन तलाशने लगते है. कड़क पुलिस वाला बने तो नेताओं की लंका लगा देते है. पागल आशिक बने तो आशिकी के सारे बने-बनाये उसूल तोड़ देते है. जिम्मेदार बड़े भाई बन जाए तो अपने दिव्यांग छोटे भाई के मम्मी और पापा भी बन जाते है. प्यारा सा भाई बन जाए तो अपनी बहन के लिए अपनी मूंछे तक मुंडवा लेते है. बेटा बनते है तो माँ की अलग परिभाषा दे जाते है.

बात करते है आज ऐसे ही कुछ मज़बूत किरदारों की जिसे करना किसी भी अभिनेता का सपना होता है.

1. अरुण सक्सेना - दिलवाले

Ajay Devgan as in Ek Aaisi Ladki

ऐसा पागल प्रेमी से दुबारा मिले हो तो कॉमेंट बॉक्स में बताना. साल था 1994 जब निर्देशक हैरी बावेजा ने इस अरुण भाई साहब हमारे बीच लाया और इश्क़ में किस हद तक पागल बना जा सकता है यह बतलाया. 90’s के हर बच्चे का तब सिर्फ दो ही सपना था. पहला तो अरुण जैसा बाल हो और दूसरा सपना जैसी प्रेमिका.

2. राज दीक्षित - तेरा मेरा साथ रहे

Ajay Devgan as in Tera Mera Saath Rahe

महेश मांजरेकर बहुत कम फिल्म निर्देशित करते है. लेकिन जब करते है तो पूरा दिल निकाल के रख देते है. साल था 2001 जब यह फिल्म आयी थी. तब चली नहीं थी. लेकिन इस फिल्म में अपने दिव्यांग छोटे भाई को जिस कदर वो प्यार देते है उसे देखना एक अलग ही दुनिया में ले जाता है. उनका अपने छोटे भाई राहुल के साथ ऐसा रिश्ता कायम हो चुका है जैसे सूरज की किरणें और फूलों का होता है. वह एक दूसरे की ज़रुरत बन चुके होते है. जिसे देखना किसी मायावी दुनिया में सैर करने से कुछ भी कम नहीं है.

3. अजय देसाई - ज़ख़्म

Ajay Devgan as in Jakhm

महेश भट्ट की ये फिल्म साल 1998 में क्रिसमस के दिन आयी थी. मुंबई में हुए दंगों पर आधारित यह फिल्म जब आयी थी तो इसे समीक्षकों ने दोनों बाँहें फैलाकर अपनाया था. अपने माता और पिता की प्रेम के बीच में उलझे अजय बहुत ही कम उमर में बहुत कुछ देख चुका होता है. फिर फिल्म के अंत में जब अपनी मरी हुई माँ को अपने बाँहों में उठाकर बोलता है की “माँ और मुल्क बदले नहीं जाते” तो सामने बैठे दर्शकों के आँख में भी पानी आ जाता है. इस फिल्म के लिए अजय देवगन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रिय पुरस्कार मिला था.

4. अजय शास्त्री - अपहरण

Ajay Devgan as in Apaharan

साल 2005 में आयी प्रकाश झा की इस क्राईम फिल्म में अजय देवगन ने सिस्टम का मारा एक युवा का किरदार निभाया है. जिस शालीनता से उन्होंने अपने आक्रामकता को दिखाया है वो देखते ही बनता है. फिल्म के एक दृश्य में जब वो तबरेज़ के छोटे भाई उस्मान को कहता है की हमको मालुम है तुम किसका हवा पे टाईट हो रहा है तो वहाँ खड़े हर व्यक्ति आतंकित हो उठता है.

5. सुलतान मिर्ज़ा - वंस अपॉन अ टाईम इन मुंबई

Ajay Devgan as in Once Upon a Time in Mumbai

वैसे तो साल 2002 में आयी राम गोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी में भी उन्होंने कथित तौर पर इसी किरदार को अंजाम दिया था. लेकिन जब वापस दाऊद का बाप यानी की सुलतान मिर्ज़ा बनकर 2010 में आया तो सेल्युलॉइड पर उनसे ज्यादा चमक किसी की नहीं थी. उस किरदार के आगे सब फीके पड़ चुके थे. एक आदर्शवादी डॉन को देखना सुकून देता था, जो अपनी महबूबा यानी की बम्बई पर कोई दाग नहीं लगाने देना चाहता था.

उनके तरकश में एक से बढाकर एक ब्रह्मास्त्र है. अनेकों अविस्मरणीय किरदार को अब तक जिया है अजय देवगन ने. बॉलीवुड में अब भी इनकी धाक है और आगे भी बनी रहेगी. बहुत कम सितारे ऐसे होते है जिनके दामन पर कोई दाग नहीं होता. उनमें से ही एक है हम सबके प्यारे अजय देवगन. हम उनकी स्वस्थ एवं लम्बी उम्र की कामना करते हुए उन्हें जन्मदिन की ढेरों बधाईयां देते है.

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