Changes in Sonakshi Sinha - from fatty, slim trim to sexy

बाप ने कहा बिहारी लड़की हिरोईन नहीं बनेगी, बेटी खुद बन गयी

Changes in Sonakshi Sinha - from fatty, slim trim to sexy

बड़े लोगों की अगली पीढ़ी के लिए अपने कैरियर का चुनाव करने का कोई प्रेशर नहीं होता है. उनको अपनी पढाई ख़तम करके अपना कोई शौक पूरा करना होता है, या थोड़ा और अच्छे से बोले तो हॉबी. और अगर कोई शौक भी नहीं है तो जीवन जीने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा. तो फिर विरासत संभाल लो. यदि कम से कम ये करने का भी हुनर नहीं है फिर तो भगवान ही मालिक है. आगे हम नहीं बोलेंगे. आपलोग खुद बहुत समझदार है.

बात कर रहे है सोनाक्षी सिन्हा की. 2 जून 1987 को पटना के एक मैथिल कायस्थ परिवार में जन्मी सोनाक्षी आज ३१ साल पुरे कर रही है. जब सोना पैदा हुई तब तक उनके पापा हिंदी फिल्मों के बड़े नाम हो चुके थे - शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा. उनकी मम्मी भी हिरोईन ही थी - पूनम सिन्हा. सोनाक्षी का सिर्फ जन्म पटना में हुआ है. उनका लालन-पालन और पढाई सब मुंबई में हुआ. क्योंकि पापा-मम्मी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे तो मुंबई के बाहर रहना थोड़ा मुश्किल था.

तीन भाई - बहनों में सोनाक्षी सबसे छोटी है. उनसे बड़े उनके दो जुड़वाँ भाई है - लव सिन्हा और कुश सिन्हा. रामायण से प्रेरित होकर पापा शत्रुघ्न सिन्हा से बच्चों के ये नाम रखे थे. कमाल की बात तो ये भी है कि उनके बंगला का नाम रामायण है.

SNDT वीमेंस यूनिवर्सिटी मुंबई से फैशन डिजाईनिंग में ग्रैजुएट करने के बाद सोनाक्षी फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाईनिंग करने लगी. लेकिन दिमाग में कुछ और चल रहा था. इनको फिल्मों में हिरोईन बनना था. लेकिन प्रॉब्लम यह थी कि उनका वेट बहुत ज्यादा था. हिरोईन बनने के लिए कम से कम हिरोईन जैसा दिखना तो पड़ेगा ही. ध्यान रहे यहाँ हम हिरोईन बनने की बात कर रहे है, अभिनेत्री बनने की नहीं. दोनों में बहुत अंतर होता है.

Shatrughan Sinha family members
सिन्हा परिवार

तमाम कोशिशों के बाद साल 2010 में सलमान खान के साथ आयी उनकी फिल्म दबंग ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. फिल्म सुपर-डुपर हिट हुई. सोनाक्षी को फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू एक्टर फीमेल का अवार्ड मिला. यहाँ से उसे पीछे देखने की ज़रुरत ही नहीं पड़ी. दबंग के बाद उनकी अगली फिल्म थी अक्षय कुमार के साथ विशुद्ध कॉमर्शियल फिल्म राउडी राठोड़. यह फिल्म भी हिट हुई, सोनाक्षी को पहचान मिली. और उनके खाते में फ़िल्में लगातार आती गयी. यहाँ देखिये दबंग का वो चार्टबस्टर गाना:

साल 2010 में डेब्यू से लेकर 2014 तक उनके पास एक से बढ़कर एक फ़िल्में आयी. मसलन सन ऑफ़ सरदार, दबंग 2, लूटेरा, वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा, आर. . .राजकुमार, हॉलिडे इत्यादि. ये सब ऐसी फ़िल्में थी जो सोनाक्षी को कॉमर्शियल हिरोईन के तौर पर स्थापित कर दी. लेकिन एक ये भी सच्चाई है कि इनमें से ज्यादातर फिल्मों में उन्हें सिर्फ शो पीस के लिए रखा गया था. फिल्म का असली सेलिंग पॉइंट उसका हीरो या फिर कहानी का ट्रीटमेंट था. लूटेरा जैसी पीरियड फिल्म में उनके अभिनय के लिए उनको फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था. आर. . .राजकुमार के इस गाना को काफी पसंद किया गया था:

साल 2016 में अकीरा तथा साल 2017 में नूर फिल्म में सोनाक्षी ने सोलो रोल किया था. इसमें हीरो नहीं, सिर्फ सोनाक्षी थी. दोनों फ़िल्में बुरी तरह पीटी. कंगना रनौत के क्वीन या फिर कहानी में विद्या बालन जैसी परफॉर्मेंस की उम्मीद लगाए बैठे दर्शकों को वैसा कुछ भी नहीं मिला.

Ranveer Singh and Sonakshi Sinha in a scene from film Lootera
फिल्म लूटेरा के एक दृश्य में रणवीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा

सोनाक्षी अभी भी उस सिचुएशन में नहीं है कि सोलो फिल्म को हिट करा ले जाए. उसके लिए कड़ी मेहनत लगती है. अभी सोनाक्षी की कोई बड़ी फिल्म लाइन में नहीं है. लेकिन उम्मीद है कि वो जब भी बड़े परदे पर दिखेगी, बेहतर दिखेगी. अभिनय करते हुए दिखेगी, शोपीस बनकर नहीं. सोनक्षी को पुरे बेजोड़ जोड़ा के टीम की तरफ से उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएँ.

और अंत में:

मुझे मालुम है की आपलोग हेडिंग पढ़ने के बाद से ही उसके बारे में जानना चाहते थे. बात ये है कि इसका कोई सबूत या प्रमाण तो नहीं है लेकिन पटना के गलियों में आज भी ये बातें तैरती है कि हीरो बनने के बाद जब मुंबई में शत्रुघ्न सिन्हा ने देखा वहाँ पर लड़कियों के साथ क्या-क्या होता है तो बिहारी बाबू सरे आम ये घोषणा कर दिए कि बिहार के किसी भी लड़की को हम मुंबई में हिरोईन नहीं बनने देंगे.

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