Sant Kabir Das ke Dohe

संत कबीर के ये दोहे पढ़ लोगे तो जीवन जीना आ जाएगा

Sant Kabir Das ke Dohe

संत कबीर के दोहे हर युग में प्रासंगिक रहे है. कैसे वो जीना सिखाते है यह पढ़ना, देखना और सुनना हमेशा ही आनंददायी होता है. आज ऐसे ही उनके द्वारा रचित दस दोहे हम आपके लिए लाए है. ये दोहे हमें बेहतर जीवन जीने के लिए हमेशा प्रेरित करते है.

1. अपने अंदर एक बार झाँको, खुद की औकात का पता चल जाएगा.

Kabir Das doha - Bura Jo dekhan mai chala

2. स्नेह और प्रेम से बड़ी संपत्ति आज तक कोई भी अर्जित नहीं कर पाया.

Kabir Das doha - Pothi Padhi Padhi Jag mua

3. किसी को ढूंढने में वक़्त बरबाद मत कीजिए, खुद ही बन जाइए.

Kabir Das doha - Sadhu aisa chahiye

4. कपड़े तलवार से नहीं, सुई से ही सील सकते हो. ये बात महात्मा कबीर तुम्हें खुद बता रहे है.

Kabir Das doha - Tinka kabahu na nindiye

5. हैव पैसेन्स गायज. . .अब तो म्युचुअल फंड वाले भी यही सलाह देते है.

Kabir Das doha - Dhire dhire re mana

6. कुछ ना कुछ जब करना ही है, तो कोशिश करने में क्या हर्ज़ है भाइयो - बहनों. .!!

Kabir Das doha - Jin khoja tin paiya

7. संत कबीर ये भी बताए थे कि फ़ोकट का फायदा कैसे उठाया जा सकता है.

Kabir Das doha - Nindak niyare rakhiye

8. अभी के परिवेश में तो सबसे ज्यादा प्रासंगिक ये दोहा है.

Kabir Das doha - Hindu kahe mohi Ram piyara

9. हीरा की पहचान तो जौहरी ही करता है. ठीक वैसे ही जैसे हीरो की पहचान करण जोहर करता है.

Kabir Das doha - Kabir lahari samand ki

10. बोया पेड़ बबूल का तो अमुआ कहाँ से खाय कबीरा. .??

Kabir Das doha - Kabir tan panchi bhaya

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