Violet Jessop मिस अनसिंकेबल: कभी न डूबनेवाली महिला की कहानी
जाके राखो साईयाँ, मार सके ना कोई। यह बात आज के इस कहानी पर बिलकुल फिट बैठती है। आज हम जिसकी कहानी आपके लिए लेकर आये हैं वो इस कहावत का सबसे सटीक उदाहरण हो सकता है। आइए आज जानते हैं वायलेट जेसप के बारे में, जो टाइटैनिक समेत दो और डूबते हुए जहाजों से बचकर निकली थी। इनका पूरा नाम वायलेट कांस्टेंस जेसप है जिसे लोग उनके प्रचलित नाम मिस अनसिंकेबल के नाम से जानते हैं। यानि कि कभी न डूबनेवाली महिला। वायलेट जेसप एक ऐसी साहसिक और निर्भीक महिला है जिसने विश्वविख्यात टाइटेनिक जहाज की दुर्घटना से लेकर, HMHS ब्रिटैनिक जहाज और RMS ओलिंपिक जहाज के डूब जाने के बाद भी वो जिन्दा बच निकली। HMHS ब्रिटैनिक जहाज जब डूब रहा थे तब उनके सर पर काफी गहरी चोट भी आयी थी, बावजूद इसके वो बच निकलने में कामयाब रही। तो आइए जानते हैं इस मिस अनसिंकेबल के बारे में सबकुछ।
वायलेट जेसप पर वीडियो भी देख सकते है
तीन समुद्री दुर्घटनाओं से बचकर निकलने के बाद वायलट मानो समंदर से कह रही हो कि तुम चाहे जहाज को भले ही डूबा दो लेकिन तुम मुझे नहीं डूबा सकते। इतने सारी घटनाओं के बाद भी वायलट ने जहानों पर काम करना नहीं छोड़ा और अपना पूरा जीवन जहाजों पर काम करते हुए ही बिता दी। उनके इसी साहसिक जीवन को देखकर दुनिया ने उसे मिस अनसिंकेबल यानी कि कभी ना डूबने वाली महिला की उपाधि दी।
जन्म और बचपन – Birth and Childhood of Violet Jessop
वायलेट जेसप का जन्म 2 अक्टूबर 1887 को अर्जेंटीना में हुआ था। उसके जन्म के समय से ही स्पष्ट हो गया था कि यह लड़की एक सर्वाइवर है। वो हर परिस्थिति में जीनेवाली है। उसके माता-पिता के नौ संतानों में से सिर्फ 6 ही अपनी बालपन से आगे आ पायी थी, बाकी तीन संतानों की मौत बालपन में ही हो गयी थी। वायलेट जेसप पहली संतान थी, जो बालपन से आगे बढ़ी थी। वायलेट को बचपन में ही ट्यूबरक्लोसिस यानी कि TB की बीमारी हो गई। डॉक्टर्स का अनुमान था कि वह नहीं बच पाएगी। क्यूंकि उस समय TB का कोई प्रॉपर इलाज भी नहीं था। लेकिन वो बच गई।
जहाजी दुर्घटनाओं का दौर
ऐसे में शायद यह बहुत बड़ी आश्चर्य की बात नहीं है कि वह प्रसिद्द RMS टाइटेनिक जैसा जहाज दुर्घटना से भी बच निकली। RMS टाइटेनिक जहाज उस समय संसार का सबसे बड़ा जहाज था जिसके बारे में यह कहा जाता था कि वो कभी डूब नहीं सकती। लेकिन यह आश्चर्य की बात जरूर मानना होगा कि टाइटेनिक का दो सिस्टर जहाज RMS ओलिंपिक की टक्कर और HMHS ब्रिटैनिक का डूबना दोनों से ही वायलेट जिन्दा बच निकली। अब या तो यह संयोग मात्र है या फिर उनकी हिम्मत।
ये तीनों जहाज ब्रिटिश शिपिंग कंपनी “White Star Line” का था। उस समय “White Star Line” टॉप शिपिंग कंपनी में से एक थी। 19वीं शताब्दी का शुरुआती दशक “White Star Line” के लिए बुरा था पर वायलेट जेसप के लिए नहीं।
1910 में, वायलेट जेसप दो साल तक रॉयल मेल लाइन के साथ एक स्टीवर्ड्स के रूप में काम करने के बाद, आरएमएस ओलंपिक में नौकरी ली। ओलंपिक एक लक्जरी जहाज था, जो अपने समय का सबसे बड़ा नागरिक वाहक जहाज था। 1911 के अंत में, ओलंपिक साउथेम्प्टन के बंदरगाह से निकलता है और ब्रिटिश युद्धपोत, एचएमएस हॉक से टकरा जाता है। जहाज को क्षति पहुँचती है पर बिना यात्री को नुकसान पहुंचे, डूबने से बचते ओलम्पिक वापस बन्दरगाह पर आ जाता है।
ओलंपिक के लगभग डूबने का अनुभव करने के बाद, किसी को लगेगा कि जेसप ट्रांसअटलांटिक समुद्री यात्रा वाली जॉब छोड़ देगी। लेकिन, सिर्फ सात महीने बाद वह व्हाइट स्टार लाइन के साथ काम पर वापस आ गईं, इस बार वो कभी न डूबनेवाला जहाज माना जानेवाला RMS टाइटैनिक पर थी।
टाइटैनिक का वो ऐतिहासिक सफर – The Historical Titanic Tragedy
टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को 2224 यात्री और क्रू मेंबर्स को लिए बंदरगाह से निकला, सब अच्छा जा रहा था पर 4 दिनों बाद नार्थ अटलांटिक में आइसबर्ग से टकरा गया और उसके करीब 2 घंटे बाद डूब गया। अपने संस्मरणों में, जेसप बताती है कि उसे डेक पर आदेश दिया गया था कि वह गैर-अंग्रेजी बोलने वालों को इंस्ट्रक्शंस बताएं। जेसप के शब्दों में – “यात्रीगण धीरे-धीरे लाइफबोट में जा रहे थे। मैं अन्य स्टीवर्डेस के साथ बल्कहेड पर खड़ी थी। महिला यात्री को बच्चों के साथ जाने से पहले अपने पतियों से लिपटते देख रही थी। कुछ देर बाद, एक अफसर ने आदेश दिया कि मैं लाइफबोट 16 में जाऊँ। जब लाइफबोट पानी में नीचे उतारा जा रहा था एक अफसर ने एक बेबी को मेरी गोद में रख दिया और बोला कि आप इसकी देखभाल करें। पूरी रात लाइफबोट में बिताने के बाद अगली सुबह, मुझे और बाकी बचे लोगों को आरएमएस कारपैथिया ने बचाया।” जेसप के अनुसार, कार्पेथिया पर एक महिला आयी, वो शायद उस बच्चे की माँ थी। उसने उस बच्चे को पकड़ लिया और एक शब्द कहे बिना उसके साथ भाग गई।”
HMHS ब्रिटानिक ट्रेजेडी
टाइटैनिक की त्रासदी को देखने और फ्रीजिंग ठण्ड में लाइफबोट में रात बिताने के बावजूद, वायलेट जेसप स्टीवर्ड्स के तौर पर काम करना नहीं छोड़ी। 1916 में, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, व्हाइट स्टार लाइन ने अपने कुछ जहाजों को अस्पतालों में तब्दील कर दिया। इन परिवर्तित जहाजों में से एक HMHS ब्रिटानिक था, जिस पर जेसप ब्रिटिश रेड क्रॉस के लिए एक स्टीवर्ड्स के रूप में काम कर रही थी।
21 नवंबर की सुबह, रहस्यमय विस्फोट के कारण ब्रिटानिक एशियन सागर में डूब गया। आज तक वैज्ञानिक उस विस्फोट का वास्तविक कारण नहीं मालूम कर सका, हालांकि ब्रिटिश अधिकारियों का मानना था कि यह या तो टारपीडो की वजह से हुआ या जर्मन सेना द्वारा लगाए गए माइन के टकराने से।
जेसप जब अपने लाइफबोट से निकल रही थी उस समय के दृश्य का उल्लेख करते हुए वो बताती है –
“समुद्र के चिकित्सा जगत का सफेद गौरव अपने सर को थोड़ा झुकाता है, थोड़ा और झुकाता है और सारे डेक मशीनरी समुद्र में बच्चो के खिलौनों की तरह गिर जाते हैं। फिर वह एक भयभीत करवट लेता है, उसके कठोर स्टर्न हवा में सैकड़ों फीट तक एक अंतिम गर्जन के साथ समुद्र की गहराई में खो जाता है।”
57 मिनट में ब्रिटानिक डूब गया, जिसमें 30 लोग मारे गए। जहाज डूब गया, लेकिन प्रोपेलर अभी भी कताई कर रहे थे और उनके नीचे लाइफबोट को भी निगलने लगे। जेसप ने अपनी लाइफबोट से सुरक्षा के लिए छलांग लगाई लेकिन ऐसा करते हुए उसके सिर में चोट लग गई।
जेसप आगे बताती है –
“मैंने पानी में छलांग लगाई लेकिन जहाज के कील के नीचे फंस गई जिससे मेरे सिर पर चोट लगी। मैं बच गई, लेकिन वर्षों बाद जब मैं बहुत अधिक सिरदर्द के कारण अपने डॉक्टर के पास गई, तो उन्होंने बताया कि मुझे कभी खोपड़ी का फ्रैक्चर हुआ था!”
एक बार डूबने के कगार पर और दो बार सचमुच के डूबने से बचने के बाद, कई लोग वायलेट जेसप को समुद्री करियर से रिटायर होने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन, कुछ समय के बाद, वह 1920 में व्हाइट स्टार लाइन और बाद में रेड स्टार लाइन के लिए काम पर लौट आई।
अपने सी-फ़ेयरिंग करियर के बाकी समय के दौरान, वायलेट जेसप ने दुनिया भर का दो चक्कर लगाया और सुफ़ोक के ग्रेट एशफ़ील्ड में रिटायर होने से पहले एक अल्पकालिक विवाह किया, जहाँ 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
वीडियो: जो विस्फोट दुनिया तबाह कर सकता था, उसके बारे में दुनिया क्यों नहीं जानती है?
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