फिल्म रिव्यू: डेडपूल 2
सच्ची-सच्ची बताओ कि आप मार्वल की सुपरहीरो वाली फ़िल्में देखने क्यों जाते हो थियेटर में. क्या आपको कोई मैसेज मिलता है? थियेटर से निकलने के बाद आप समाज सेवा करने के लिए उतावले हो उठते हो? तो इसका जवाब है नहीं. वापस आने पर एक ही बात दिमाग में रहता है कि इतना जब अभी ही दिखा दिया तो अब आगे क्या? और ऐसा क्यों होता है, क्योंकि वो पिक्चर आपको मज़े देती है. भरपूर. जितना आपने खर्चे हो उसके लिए. ऐसी ही एक मनोरंजक फिल्म है डेडपूल 2. जिसने पहला भाग देखा है उसका दुगना पैसा वसूल होगा.
हॉलीवुड की फिल्मों को कहानी, गीत-संगीत या फिर किसी अन्य चीजों में विभक्त नहीं करते है. आप बोर हो जाएंगे. तो सीधे मुद्दे पर आते है.
वेड विल्सन (रेयान रेनॉल्ड्स) अपनी गर्लफ्रेंड वेनेसा के साथ रह रहा है. दोनों अब परिवार बनाकर उसके ऊपर समय खर्च करना चाहता है. क्योंकि अपनी सुपरहीरो वाली जॉब से वेड बोर हो चुका है. लेकिन काम तो काम होता है. वेड अपने सारे टार्गेट्स को ख़त्म नहीं कर पाता है. उसमें से एक बच जाता है और उसके घर पर हमला कर देता है. वेड तो बच जाता है लेकिन वेनेसा को गोली लग जाती है और वो मर जाती है. वेड उसके कातिल को तो मार देता है लेकिन उसे लगता है कि वेनेसा की मौत का जिम्मेदार वो खुद है. उसी की वजह से आज वेनेसा उसके साथ नहीं है.
वेड आत्महत्या की कोशिश करता है. लेकिन तभी उसकी एक्स-मेन की टीम आती है. फिर उसे याद दिलाया जाता है कि उसे सुपर पवार खुद के भलाई के लिए नहीं बल्कि किसी दूसरे काम के लिए मिला है. वो काम क्या होता है ये बताना स्पॉयलर हो जाएगा. तो चलो, नहीं बताते है.
डेडपूल मार्वल के सभी सुपरहीरोज में सबसे ज्यादा फनी है. वह चीजों को हल्के में लेता है. आपको टशन के साथ एन्जॉय करना सिखाता है. सीरियस काम को भी हल्के में लेकर निपटाया जा सकता है यह बात आपको डेडपूल को देखकर पता चल जाता है. दिमाग को साथ लेकर जाने की ज़रूरत नहीं है. देह को कुर्सी पर छोड़कर सिर्फ इंजॉय करते रहिए. अभी के मार्वल सुपरहीरोज को क्या हो गया है समझ नहीं आता. चाहे लोगन हो, थोर रैग्नारोक हो या फिर इनफिनिटी वार. और अब डेडपूल २. सबमें एक बात कॉमन है. आगे की कुछ बड़ी प्लानिंग हल रही है शायद.
रणवीर सिंह की आवाज में डेडपूल 2 का हिंदी वर्जन उतना मज़ेदार नहीं बन पाया है. फिर भी कोशिश पूरी की गयी है. अगर आप कूल डूड है तो इंग्लिश वर्जन को प्रिफर कीजिए. और हाँ, अपना गोपू भी है ही. मज़ेदार. . . . .