फिल्म रिव्यू: गोल्ड
पिछले कुछ सालों में स्पोर्ट्स बेस्ड काफी फ़िल्में आ चुकी है. लगान और चक दे इंडिया के बाद भाग मिल्खा भाग हो या फिर मैरी कॉम या फिर अभी हाल ही में आयी फिल्म सूरमा. ऐसी फ़िल्में काफी पसंद की जाती है. खास कर तब, जब फिल्म का ट्रीटमेंट सही हो. हॉकी पर पिछले महीने ही सूरमा आयी थी और अब गोल्ड. सूरमा देखने के बाद जो दर्शक थोड़े निराश हुए होंगे, उन्हीं की कमी पूरी करती है गोल्ड.
कहानी
फिल्म शुरू होती है बर्लिन से. साल है 1936. भारतीय हॉकी टीम ओलम्पिक खेलने जर्मनी गयी हुई है. क्योंकि तब भारत अंग्रेजों के अधीन था तो उसे ब्रिटिश इंडिया कहते थे. इस टीम में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं. कैप्टन सम्राट (कुणाल कपूर), इम्तियाज शाह (विनीत कुमार सिंह) और कई ऐसे ही. इंडिया तब जर्मनी को फाइनल में हराकर गोल्ड जीतता है लेकिन उस टीम के कैप्टन सम्राट और टीम के असिस्टेंट मैनेजर तपन दास (अक्षय कुमार) समेत कोई भी खिलाड़ी खुश नहीं होता है क्योंकि वो ब्रिटिश इंडिया के लिए जीता है. इंडिपेंडेंट इंडिया के लिए नहीं. और इन सब का सपना है इंडिपेंडेंट इंडिया के लिए जीतना.
वक़्त गुजरता है और फिर शुरू होता है सेकण्ड वर्ल्ड वार. इस बीच दो ओलम्पिक गेम्स कैंसल हो चुके है और भारतीय टीम बिखर चुकी है. सभी का एक दूसरे से संपर्क टूट चूका है. सब अपनी - अपनी लाइफ में व्यस्त हो चुके हैं. फिर आता है साल 1946 जब लन्दन में होनेवाले समर ओलम्पिक की घोषणा होती है. यह ओलम्पिक 1948 में होना है. तपन यह सुनकर बहुत खुश हो जाता है और वापस प्लेयर को इकट्ठा करने पहुँचते हैं तो पाते हैं कि सब कुछ ख़त्म हो चुका है. जैसे तैसे इन सबका जुगाड़ होता है तब तक देश का बँटवारा हो चुका होता है. आधे प्लेयर पाकिस्तान चले जाते हैं. अब तपन के पास फिर से एक नई टीम खड़ी करने का चैलेंज आन पड़ता है.
अबकी बार लाख मुश्किलों को सहते हुए तपन फिर से एक बार नयी टीम को खड़ी करते हैं जिसमें हिम्मत सिंह (सन्नी कौशल) और रघुबीर प्रताप सिंह (अमित साध) सरीखे खिलाडी हैं. लेकिन फिर भी वो टीम नहीं बन पाती है जो तपन का सपना है. अब इसी टीम को लन्दन में ओलम्पिक खेलना है और आज़ाद भारत के लिए गोल्ड जीतना है. इसी पूरी जर्नी की कहानी है गोल्ड.
लेखन - निर्देशन
इस फिल्म की लेखिका और निर्देशिका हैं रीमा कागती. रीमा इससे पहले तलाश जैसी क्रिटिकली अक्लेम्ड फिल्म बना चुकी है. रीमा का कहना है कि यह एक सत्य घटना पर बनी काल्पनिक फिल्म है. कैसे इंडिया को बारह साल लग गए एक सपने को पूरा करने में. फिल्म को बहुत ही खूबसूरती के साथ लिखा गया है. इसके पटकथा लेखन में रीमा के साथ राजेश देवराज ने भी अपना योगदान दिया है. किरदारों पर जितनी मेहनत की जा सकती थी उतनी की गयी है और यह परदे पर बखूबी दिखता भी है. निर्देशन में कहीं कोई कमी नहीं बरती गयी है. कसी हुई स्क्रिप्ट पर यह एक बाँध कर रखने वाली फिल्म है.
लगभग पूरी फिल्म की शूटिंग इंग्लैण्ड में हुई है तो वहाँ के लोकेशन इतने फिल्मों में देखने के बाद भी नया सा लगता है. और यहीं पर सिनेमैटोग्राफर को पुरे नंबर मिल जाते है. दो घंटे और बीस मिनट की फिल्म कहीं पर भी बोरिंग जैसी नहीं लगती है और इसमें एडिटर आनंद सुबाया का पूरा-पूरा हाथ है.
अभिनय
15 अगस्त और 26 जनवरी को अक्षय कुमार की फ़िल्में रिलीज कर देने से फिल्म को बहुत ही ज्यादा अतिरिक्त फायदा मिल जाता है. पिछले 4-5 सालों से तो यही होता आया है. अक्षय कुमार इस फिल्म में एक बंगाली का किरदार निभा रहे हैं जो बहुत ही मज़े से निभाया गया किरदार है. भाषा के मामले में कहीं-कहीं पर अखड़ता है लेकिन पकड़ में नहीं आ पाता है. तपन के पत्नी के रोल में मौनी रॉय है. उनके लिए ज्यादा एक्टिंग का स्कोप था नहीं तो वह एक फिलर जैसी ही है. विनीत कुमार सिंह, अमित साध, जतिन सरना सभी ने कमाल की एक्टिंग की है लेकिन जो सरप्राइज पैकेज है वो हैं हिम्मत सिंह बने सन्नी कौशल. सन्नी कौशल अभिनेता विकी कौशल के भाई हैं. इससे पहले सन्नी ऑफिसियल चुकियागिरी नाम के वेब सीरीज में आ चुके हैं. हिम्मत सिंह के किरदार में बहुत सारे फेज को दिखाया गया है, और सबको सन्नी ने बहुत ही आराम से किया है. यह लड़का बॉलीवुड के लम्बी रेस का घोड़ा बनेगा इसमें कोई संदेह नहीं लगता.
गीत - संगीत
नैनों ने बाँधी. . . और चढ़ गयी है. . . पहले ही हिट हो चुकी है. फिल्म के गीत लिखे है जावेद अख्तर साहब ने और संगीत है सचिन-जिगर का. एक-दो गाने ऐसे है जो जबरदस्ती के घुसाए लगते हैं. फिल्म में वो ना भी होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता. पूरी फिल्म को इस तरह से आगे बढ़ाया गया है कि लास्ट में राष्ट्रगान के समय खड़े होने में किसी को भी झिझक महसूस नहीं होती.
और अंत में: वैसे तो यह भी एक नार्मल स्पोर्ट्स ड्रामा ही है लेकिन फिल्म की ट्रीटमेंट ऐसी है कि देखी जानी चाहिए. तो आप भी इस लम्बी वीकेंड में ज़रूर देखने जाएँ. गोल्ड - अ मस्ट वाच फिल्म.
ऐसे ही बेजोड़ रिव्यूज के अपडेट्स के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को लाइक एवं ट्विटर पर फॉलो ज़रूर करें.