फिल्म रिव्यू: मिशन इम्पॉसिबल - फॉलआऊट
टॉम क्रूज निर्मित और अभिनीत इस फिल्म की ट्रेलर को फरवरी महीने में लांच किया गया था. इसके प्रशंसकों को तभी से इस सीरीज की छठी क़िस्त का इंतज़ार बेसब्री से था. कहते हैं कि शराब जब पुरानी हो जाती है तो ज्यादा सर चढ़कर बोलती है. ठीक यही बात टॉम क्रूज के लिए भी बोली जा सकती है. आज से 22 साल पहले 1996 में जब मिशन इम्पॉसिबल की पहली फिल्म आयी थी तब टॉम क्रूज 34 साल के थे, आज वो 56 साल के हैं और जादू उनका वही बरक़रार है, या फिर पहले से ज्यादा बढ़ गया है. चलिए फिल्म की बात कर लेते हैं.
फॉलआऊट इस सीरीज की पहली ऐसी फिल्म है जो रोग नेशन (पाँचवी फिल्म) का सीधा सीक्वल है. इसका सबसे बड़ा कारण है फिल्म के लेखक और निर्देशक क्रिस्टोफर मकेरी. मकेरी पहले ऐसे निर्देशक हैं जो इस सीरीज के दो फिल्म को लिखे भी हैं और डायरेक्ट भी किये हैं. इसीलिए मकेरी के लिए ये करना आसान रहा.
फिल्म शुरू होती है बर्लिन में एक प्लूटोनियम डील से. यहाँ ईथन हंट (टॉम क्रूज) अपने टीम मेंबर लूथर (विंग रेम्स) और बेंजी (साइमन पेग) के साथ आया है. लेकिन एन मौके पर सब कुछ उल्टा हो जाता है और लूथर की जान खतरे में पड़ जाती है. फिर हंट के सामने दो ही रास्ते है - या तो लूथर या फिर प्लूटोनियम. हंट लूथर को चुनता है. उस समय उसे ये पता नहीं होता है कि प्लूटोनियम की उसे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. टीम वापस अमेरिका जाती है जहाँ सीआईए बिफर चुकी है और उसकी हेड एरिका स्लोन (एंजेला बैसेट) यह फैसला ले चुकी है कि प्लूटोनियम के खोज में पेरिस सिर्फ सीआईए का एजेंट जाएगा आईएमएफ का नहीं.
फिर बात बनती है और दोनों मिलकर इस मिशन को पूरा करने निकल पड़ते हैं. सीआईए के तरफ से ऑगस्ट वाकर (हेनरी केविल) को चुना जाता है और हंट के साथ उसकी टीम तो है ही. पेरिस जाकर साथ मिल जाती है एल्सा फॉस्ट (रेबेका फर्ग्युसन) का, यह हंट के पुरानी दोस्तों में से रही है. वहाँ एक ब्रोकर व्हाइट विडो (वेनेसा कर्बी) से मिलने के बाद वह उसे प्लूटोनियम देने के लिए राज़ी तो हो जाती है लेकिन उसके बदले उसे चाहिए मोस्ट वांटेड सोलोमन लेन (शॉन हैरिस). अब पंगा यह है कि लेन हंट को भी चाहिए. वह उसे किसी भी दूसरे राष्ट्र को नहीं सौंपना चाहता है. क्योंकि हंट ने ही उसे पकड़ा था.
अब मिशन काफी पेचीदा हो चूका है और इस मिशन को पूरा करना हंट की मज़बूरी बन चुकी है. नहीं करेगा तो उसकी गर्लफ्रेंड खतरे में है और खुद वो भी. सीआईए का जो एजेंट हंट के साथ था अब वो भी बागी हो चूका है, लेकिन अब हंट को पूरा करना है तो बस करना है. उसकी टीम इसमें हंट का पूरा साथ देती है. प्लूटोनियम अब एक बहुत बड़े परमाणु हमले के लिए तैयार है. इसका सेटअप दुनिया के सबसे ऊँची सियाचिन ग्लेशियर पर है. जिसके फटने से एक तिहाई दुनिया तबाह हो जाएगी. अब होता क्या है यही इस फिल्म का क्लाईमैक्स है और फिर ऐसे ही क्लाईमैक्स की उम्मीद इस फिल्म से की जा सकती थी.
मिशन इम्पॉसिबल को बेहतर बनती है टॉम क्रूज और उनकी टीम. उनके दो पुराने साथी विंग रेम्स और साइमन पेग यहाँ भी मौजूद है जबकि पिछली फिल्म से रिबेका फर्ग्युसन है. इनकी बॉन्डिंग ही फिल्म की यूएसपी है. इस फिल्म में मिशेल मोनागम भी है जिसके साथ एक ट्विस्ट है, ये आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा. फिल्म में एक नए खिलाडी हेनरी केविल की एंट्री हुई है. जिसे दुनिया सुपरमैन के नाम से जानती है. अभिनय के मामले में सब बीस. किसी पर किसी भी प्रकार का कोई संदेह नहीं. फिल्म देखते वक़्त मैं ये भी भूल गया था कि मास्क रिपिंग तो मिशन इम्पॉसिबल का ट्रेडमार्क है, फिर अभी तक एक छोटे से सीन पर ही क्यों अटका हुआ हुआ है, लेकिन इस फिल्म का भी एक ज़रूरी पजल मास्क रिपिंग से ही सॉल्व होता है. टू गुड. . !! कुछ किरदार शुरू में थोड़े कन्फ्यूज कर देते हैं, लेकिन फिल्म ख़तम होते-होते सबकुछ साफ़ हो जाता है.
फिल्म को लिखने पर अच्छे से पसीना बहाया गया है, अगर स्पाई थ्रिलर फिल्म की ऐसी स्क्रिप्टिंग ना हो तो पूरी फिल्म फीकी पड़ जाती है. इसके लिए क्रिस्टोफर मैकेरी को पुरे अंक मिलेंगे. साथ ही एडिटिंग चेयर पर बैठने वाले एडी हैमिल्टन को भी. बहुत ही कसी हुई फिल्म है. कहीं पर भी आप प्रिडक्टिबल नहीं हो सकते. आपको मौका ही नहीं दिया जाता है फिल्म से इतर कुछ और भी सोचने का. जिसने इसकी पिछली फ़िल्में देखी है उनको तो मज़ा आना ही है लेकिन जिसने ना भी देखी हो तो कोई बात नहीं. फिल्म अपना पिछले रेफरेंस कहीं भी नहीं लेता है.
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी बहुत ही उम्दा है. खास कर के पेरिस और लन्दन शहर के स्ट्रीट्स को बहुत ही बारीकी से दिखाया गया है. और उस शहर के शांत सड़क पर रेस करती हुई बाईक और गाड़ियाँ, एक कम्प्लीट विजुअल ट्रीट सा लगता है. हम तो यही कहेंगे कि अपना वीकेंड बिलकुल भी खाली मत जाने दीजिये और इस रोमांचक थ्रिलर का आनंद ज़रूर उठाएँ.