Thugs of Hindostan poster

फिल्म रिव्यू: ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान

Thugs of Hindostan poster

जब इस फिल्म का ट्रेलर आया था तब लोगों ने कहा था कि यह पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन की हिंदी रीमेक है, इसका वीएफएक्स अच्छा नहीं है और फिर ना जाने क्या-क्या। लोगों ने तो यहाँ तक कहा कि अमिताभ बच्चन और आमिर खान का स्टारडम इस फिल्म को बचा ले जाए, वही बहुत होगा। खैर, अब फिल्म रिलीज हो चुकी है। क्या फिल्म है ये बात अब आगे बताते हैं।

कहानी क्या है फिल्म की

फिल्म की कहानी है साल 1795 की. ये वो वक़्त है जब अंग्रेजी हुकूमत पूरी तरह से अपना पैर जमा नहीं पायी है लेकिन कोशिश पूरी है कि वो कैसे भी रियासतों को तोड़कर पुरे हिन्दोस्तान को अपना गुलाम बना ले. ऐसे ही एक नगर है रौनकपुर. यहाँ का राजा मिर्जा साहब (रोनित रॉय) है, जिसे गुलामी मंज़ूर नहीं है. वो अंग्रेजों से बात करने के लिए अपने सबसे बहादुर सिपाही खुदाबक्श जहाजी (अमिताभ बच्चन) को भेजता है और साथ में अपने किशोर उम्र के राजकुमार को भी. लेकिन राजा के साथ धोखा हो जाता है और अंग्रेज राजा के साथ-साथ उसके पुरे परिवार को मार देता है. तभी खुदाबक्श उस रियासत के आखिरी चिराग राजकुमारी जाफिरा (फातिमा सना शेख) को लेकर जान बचाकर भाग जाता है.

Amitabh Bachchan and Aamir Khan in film Thugs of Hindostan

जंगलों में रहने के दौरान खुदाबक्श से मुलाकात होती है फिरंगी मल्लाह (आमिर खान) की. फिरंगी ठग है, जिसपर कोई भी भरोसा नहीं करता. वो हिन्दुस्तानियों के साथ-साथ गोरों को भी ठग चूका है. लेकिन फिर भी खुदाबक्श अपने साथ उसे काम करने का मौका देता है. खुदाबक्श और जाफिरा दोनों का अब एक ही मकसद है, अंग्रेजों को भगाकर अपनी रियासत हासिल करना. इस काम में फिरंगी मल्लाह उसके साथ होता है या नहीं, या फिर राजकुमारी जाफिरा को अपना रियासत मिल भी पाता है या नहीं इसी ट्विस्ट एंड टर्न्स की कहानी है ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान.

लेखन - निर्देशन - मेकिंग

फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं विजय कृष्णा आचार्य. विजय की निर्देशक के रूप में यह तीसरी फिल्म है. पहली फिल्म टशन जहाँ बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई थी वहीं उनकी दूसरी फिल्म धूम-3 ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. आमिर खान और विजय कृष्णा आचार्य की से साथ में दूसरी फिल्म है. कहते हैं जब फिल्म के लेखक और निर्देशक दोनों एक ही होते हैं तो काफी हद तक फिल्ममेकिंग की प्रोसेस आसान हो जाती है. यहाँ पर फिल्म की लिखावट में कहीं-कहीं लूपहोल दिखता है लेकिन उसे फिल्म के एक्टर्स संभाल लेते हैं, जो दर्शकों की पकड़ में नहीं आ पाता है. बाकी फिल्म की लिखावट अच्छी है. विजय ने बहुत ही व्यवस्थापित ढंग से किरदारों को गढ़ा है. फिल्म में एक डायलॉग है - "आने वाले समय में बनिया ही नगर का राजा होगा". वर्तमान हिंदुस्तान के केंद्र सरकार से इसके क्या सम्बन्ध हैं, मुझे नहीं पता. निर्देशकीय दृष्टिकोण से भी वो चौंकाते हुए दिखते हैं. उस वक़्त की छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा गया है. ताम-झाम से फिल्म कन्नी काटती हुई दिखती है.

Thugs of Hindostan actor Aamir Khan with director

अगर फिल्म मेकिंग की बात की जाए तो कहीं भी लोकेशन से लेकर वीएफएक्स तक फिल्म निराश नहीं करती है. हाँ, अगर इसका मकसद बाहुबली था तो फिल्म थोड़ी सी पिछड़ती हुई दिखती है लेकिन मेरा मानना ये है कि ऐसा मकसद होगा नहीं. कैमरा ने फिल्म को बहुत ही बेहतरी से शूट किया है. कई सीन तो ऐसे हैं जो विजुअल ट्रीट सा लगता है. यहाँ कैमरामैन के साथ-साथ फिल्म के एडिटर रितेश सोनी का भी तहे दिल से धन्यवाद बनता है.

अभिनय

महानायक अमिताभ बच्चन और मि. परफेक्शनिस्ट आमिर खान पहली बार साथ काम कर रहे है. यशराज बैनर के लिए ये काम मुश्किल तो नहीं रहा होगा लेकिन निर्देशक के लिए ये एक चैलेंज ज़रूर होगा. बच्चन साहब अपने ही फ्लेवर में दीखते हैं,सिर्फ उनपर एक हेवी कॉस्ट्यूम डाल दिया गया है और इस कॉस्ट्यूम के साथ वो और भी भारी लगते हैं. आमिर खान को फिर से एक उत्तर भारतीय भाषा वाला रोल करने को मिला है जिसमे वो एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वो मि. परफेक्शनिस्ट क्यों है. दोनों को एक फ्रेम में देखकर रूह को सुकून सा मिलता है खासकर वो लकड़ी खींचने वाला सीन.

Amitabh Bachchan and Aamir Khan in film Thugs of Hindostan

सुरैया बनी कैटरिना कैफ के हिस्से में सिर्फ नाच गाना ही आया है. फिल्म के कुल चार गीतों में तीन आइटम नंबर ही है जिसपर कैटरिना ने डांस किया है. वो डांस अच्छा करती है, ये बात तो हम सभी जानते है. फातिमा सना शेख कि एक्टिंग दमदार है. वो अपने दंगल वाला किरदार से एक लेवल ऊपर आ गयी है. अगर काम मिलता रहा तो एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में स्थापित होने से इन्हें कोई रोक नहीं सकता. फिल्म में रोनित रॉय भी दिखे हैं और फिल्म का शमां बाँधने का काम करते हैं. वहीं दूसरी तरफ मो. जीशान अयूब का प्रेजेंस चौंकाता है लेकिन साथ ही कब वो "हीरो के दोस्त" वाले मोड से बाहर आएगा कहा नहीं जा सकता. बाकि के सपोर्टिंग कास्ट भी सही है, कहीं भी बोर होने का मौका नहीं देती.

Actors in film Thugs of Hindostan

गीत - संगीत

फिल्म के कुल चार गीतों को अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखा है, जो बमुश्किल ही आपके जुबान तक पहुँचती है. संगीत अजय-अतुल का है जो गीत के जैसा ही है. बैकग्राउंड स्कोर इस फिल्म का बैकबोन है इस बात से कभी भी इंकार नहीं किया जा सकता. जॉन एडरे इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं.

और अंत में: फिल्म चौंकाती तो नहीं है कहीं पर लेकिन ये फेस्टिव सीजन के लिए सिर्फ एक टाइमपास है. बच्चन साहब और आमिर खान को साथ देखना अच्छा लगता है. थियेटर से बाहर आते हुए आप निराश नहीं होंगे इस बात कि गारंटी नहीं है. लेकिन फिल्म अपने लागत के जितना (300 करोड़) कमाई करेगी ऐसा नहीं लगता.

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