कहानी क्वीन ऑफ़ द डार्क की

“काले है तो क्या हुआ दिल वाले है…” वैसे तो हमारे यहाँ यह गाना बहुत प्रसिद्ध रहा है और हम सबके जुबान पर कभी न कभी आता है या सुनने को मिलता है. हम मानते हैं कि हमारी पीढ़ी उस दौर से आगे निकल चुकी है जहाँ स्किन के रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. काले हो या गोरे हम सब कदम से कदम मिलाकर आगे चल रहे. लेकिन क्या यह सम्पूर्ण रूप से सच है? नहीं, यदि होता तो हमारे यहाँ फेयरनेस क्रीम की इतनी बड़ी मार्किट ही नहीं होती. सांवले और काले स्किन वालों में कहीं न कहीं गोरे दिखने की चाह हमेशा बनी रहती है. और इसका कारण है हम सभी की सोच जो कमेंट पास करने में वक्त नहीं लगाते.

queen of the dark - Nyakim Gatwech
“क्वीन ऑफ़ द डार्क” यानि कि “काली त्वचा की रानी” के नाम से प्रसिद्ध मॉडल यकिम गैटविच

जी हाँ दोस्तों कुछ ऐसे ही कमेंटस  का शिकार रही “क्वीन ऑफ़ द डार्क” यानि कि “काली त्वचा की रानी” के नाम से प्रसिद्ध मॉडल यकिम गैटविच. यकिम गैटविच की सफलता हम सभी के लिए एक उदहारण प्रस्तुत करती है और ऐसे कमैंट्स करनेवालों के गालों पर तमाचा लगाती है.

सुनिए उन्हीं की जुबानी कि कैसे एक उबेर ड्राइवर ने उनकी काली त्वचा पर क्या कहा था – “मैंने उबेर को कॉल किया. एक ड्राइवर गाड़ी लेकर आया. वो ड्राइवर मुझे बोलता है कि यदि मुझे 10 ग्रांड्स यानि कि 10 हजार डॉलर दिए जाये तो क्या मैं अपनी त्वचा के रंग बदलने के लिए ब्लीचिंग करवाउंगी. जब मैंने पूछा क्यों? तो उसका जवाब था इस डर्टी लुक को हटाने के लिए. जिससे कि लड़कों को आप अट्रैक्टिव लगोगे. ड्राइवर पूछता है कि आपको ऐसे इतने ब्लैक दिखने की वजह से दिक्कत नहीं होती? तब मैंने हँसते हुए जवाब दिया था कि मैं जैसी हूँ वैसी ही सुन्दर हूँ. यदि मेरे स्किन के लाइट करवाने से लोगों को अट्रैक्टिव लगूंगी तो मुझे ये नहीं करवाना. “

ब्लैक पर क्या लाइन कही है यकिम ने. – “Black is bold, black is beautiful, black is gold… Don’t let American standards damage your African soul. ” – “ब्लैक बोल्ड होता है, ब्लैक सुन्दर होता है, ब्लैक सोना होता है. अपने अफ्रीकन आत्मा को अमेरिकन स्टैंडर्ड्स से डैमेज मत होने दो.”

यकिम गैटविच एक सूडान ओरिजिन की अमेरिकन मॉडल है. उनकी डीपली पिग्मेंटेड स्किन मॉडलिंग इंडस्ट्री पर अलग ही छाप छोड़ रही है.

गैटविच के पेरेंट्स साउथ सूडान के हैं. वे सिविल वॉर से बचने के लिए साउथ सूडान को छोड़कर गम्बेला, इथियोपिया भाग गए थे. वहीँ यैकिम का जन्म हुआ.  वहां से फिर वो लोग केन्या आ गए जहाँ रिफ्यूजी कैम्प्स में गुजर बसर होता रहा.

फाइनली यकिम जब 14 साल की थी अपने फॅमिली के साथ US आ गई. USA  में पहले बफैलो, न्यू यॉर्क में रही और अब शिफ्ट करके मिन्नेसोटा में रहती हैं.

वैसे यकिम का जन्म साउथ सूडान में नहीं हुआ था और न ही वह वहां कभी गई है पर खुद को साउथ सूडान की ही मानती है.

उसने “सेंट क्लाउड स्टेट यूनिवर्सिटी” के एक लोकल फैशन शो में पार्टिसिपेट किया था और वही से मॉडलिंग में उसकी रूचि जाग गई. वो बताती है – “मैं बहुत नर्वस थी लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा. मुझे महसूस हुआ कि स्टेज पर जाना तो बहुत मस्ती भरा काम है. मैं एक सप्ताह के बाद एक लोकल फोटोग्राफर से फोटोशूट करवाई और मुझे लगा हम्म्म मुझे ये ट्राई करना चाहिए यह सिद्ध करने के लिए कि जो लोग मुझे मानते है कि मैं सुन्दर नहीं हूँ और जब मुझे मैगजीन्स में देखेंगे तो सोचेंगे आह ये तो वही लड़की है.”

यहाँ से फिर यकिम ने अपना मॉडलिंग करियर कंटिन्यू रखा. यकिम गैटविच एक बड़ी सोशल मीडिया स्टार भी है. अभी इस आर्टिकल को लिखने के दौरान उनका इंस्टाग्राम पर 469000 फोल्लोवेर्स है.

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वो बताती है – “मुझे लगता है मॉडलिंग इंडस्ट्री में पक्षपात है. उनका झुकाव फेयर स्किन वाले लोगों की तरफ है. ऐसा बहुत पहले से रहा है लेकिन मुझे ये भी लगता है कि यह बदल रहा है. जब मैं खुद को मॉडलिंग वाली इमेजेज में देखती हूँ जिसमे मेरी स्किन लाइट दिखती है तब मुझे लगता है तो ये लोग ऐसा ही देखना चाहते है. कभी कभी मुझे बोला जाता है कि मेकअप करके आऊँ, अपना फाउंडेशन लेकर आऊँ. जबकि ऐसा मेरे दोस्तों के साथ नहीं होता.”

यकिम को अपने स्किन कलर को लेकर कई बार सेल्फ-एस्टीम इश्यूज फेस करने पड़े है. लेकिन ऐसे युग में जहाँ लोग स्किन फेयरनेस क्रीम के पीछे भागते हैं. यकिम ने अपने डार्क कम्प्लेक्सन को गर्व से अपनाया है. उसने अपना करियर पारम्परिक ब्यूटी स्टैंडर्ड्स को तोड़ने में लगा दिया है.  यही वजह है कि उन्हें “क्वीन ऑफ़ द डार्क” का निकनेम भी मिला और यह सिद्ध करता है की सुंदरता हर शेड्स में होते हैं.

वो बताती है – “मुझे अपने लुक से कभी प्रॉब्लम नहीं थी. लेकिन जब मैं US आई और खुद को आईने में देखना शुरू किया तो लगा वाउ  मैं डिफरेंट दिखती हूँ. और तब जाकर मुझे अहसास हुआ कि मैं अलग दिखती हूँ क्यूँकि बच्चे मेरे पर हसते थे और कमैंट्स पास करते थे कि जाओ जाकर नहा लो, स्नान कर लो. बच्चे बोलते थे कि ऐसे डार्क नहीं देख सकते. इस तरह के कमैंट्स ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या मेरे स्किन में कुछ बुराई है? क्या मैं नहाकर इसे हटा सकती हूँ? ये सब ने मुझे अपने लुक से सचमुच डरा दिया और दुःख होता था. “

यकिम आगे बताती है – “यदि कोई आपको आपके लुक को लेकर छेड़ता है तो आप उनलोगों से बातें करो जो आपसे प्यार करता है, आपका ख्याल रखता है. आपको जरुरत है तो अपने आप से प्यार करने की. जैसे जिस चीज़ को मैं प्यार करती हूँ लोग उसे जरूर नोटिस करेंगे और ऐसी चीज़े मुझे प्रभवित नहीं करते वो भी नोटिस करेंगे और वो फिर ऐसा कुछ करना छोड़ देंगे.”

“मैं वो बनना चाहती हूँ जो लोगों को प्रेरित करे. मैं अपने डार्क स्किन, हेयर, और ऐसी किसी चीज़ों से दुखी नहीं रहना चाहती. क्यूँकि हम ऐसे ही सुन्दर हैं जैसे कि हमें भगवान ने बनाया.”

है न सही बात. यकिम की इस बोल्डनेस, सेल्फ-कॉन्फिडेंस, और पारम्परिक सोच पर प्रहार करने की साहस को बेजोड़ जोड़ा नमन करता है.

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