रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
रवीन्द्रनाथ टैगोर ज्यादातर अपनी पद्य कविताओं के लिए जाने जाते है, टैगोर ने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, निबंध, लघु कथाएँ, यात्रावृन्त, नाटक और हजारों गाने भी लिखे हैं। इन्ही कार्यों से उपजे उनके कई प्रेरणादायक अनमोल विचार हैं। आइये जानते है उन्ही विचारों को।
आपकी मूर्ती का टूट कर धूल में मिल जाना इस बात को साबित करता है कि इश्वर की धूल आपकी मूर्ती से महान है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
कला क्या है ? यह इंसान की रचनात्मक आत्मा की यथार्थ के पुकार के प्रति प्रतिक्रिया है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम उसे प्रेम करते हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
हम तब स्वतंत्र होते हैं जब हम पूरी कीमत चुका देते हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
हम महानता के सबसे करीब तब होते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास हैं ये पेड़.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
मुखर होना आसान है जब आप पूर्ण सत्य बोलने की प्रतीक्षा नहीं करते.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर
बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ट शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है.
उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
अकेले फूल को कई काँटों से इर्ष्या करने की ज़रुरत नहीं होती.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
तितली महीने नहीं क्षण गिनती है, और उसके पास पर्याप्त समय होता है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर
मिट्टी के बंधन से मुक्ति किसी भी पेड़ के लिए आजादी नहीं हो सकती.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
मौत का अर्थ प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है, यह तो सिर्फ दीपक को बुझाना हैं क्योंकि सुबह हो चुकी हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
खुश रहना सरल होता है, पर सरल रहना बहुत मुश्किल होता है.
पंखुड़ियाँ तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती .
रवीन्द्रनाथ टैगोर
हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं,एक भूत बन कर आपकी नींद में बाधा डालेगी.
रवीन्द्रनाथ टैगोर
जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है ; यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर