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कहानी – पेड़ की गवाही

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रोशन जीवन के अंतिम पड़ाव में था इसलिए वह तीर्थयात्रा पर जाना चाहता था । उसने अपने जीवन भर की कमाई एक जगह एकत्रित कर रखी थी। जब उसके मन में तीर्थयात्रा पर जाने का ख्याल आया तो उसने उसमें से कुछ अशर्फियाँ निकल ली और बाकी बची हुई एक हज़ार अशर्फियाँ एक थैली में भर ली और अपने मित्र दीनानाथ को देते हुए बोला, “ मित्र यह मेरे जीवन भर की कमाई हैं अब मैं तीर्थयात्रा पर जा रहा हूँ । अगर मैं एक साल के अंदर नही आ पाया तो तुम इन्हें किसी नेक काम में खर्च कर लेना ।” एक साल तक ये अशर्फियाँ तुम्हारे पास मेरी एक अमानत हैं । अगर मैं आ जाऊंगा तो मैं आकर वापस ले लूँगा ।

दीनानाथ ने कहा, “ आप चिंता ना करे मैं आपकी ये अमानत संभल कर रखूँगा।” आप बिना चिंता किए आराम से तीर्थयात्रा पर चले जाइए । दीनानाथ की बात पर याकिन कर रोशन चला गया। इतना सारा धन देखकर दीनानाथ का मन बदल गया और उसने उन सारी अशर्फियों को हज़म करने की ठान ली। एक वर्ष बाद जब रोशन तीर्थयात्रा से वापस आ गया और दीनानाथ के पास अपना धन लेने गया तो दीनानाथ ने धन देना तो दूर रोशन को पहचानने से भी इनकार कर दिया और उसे बेइज़्ज़त कर के घर से भगा दिया । बेचारा गरीब रोशन अपने दोस्त की इस हरकत पर यकीन ही नही कर पा रहा था लेकिन रोशन ने  भी हार नही मानी और अपना धन दीनानाथ से लेने के लिए उसने बादशाह अकबर के दरबार में न्याय के लिए गुहार लगाई। 

अब दीनानाथ को भी दरबार में बुलाया गया लेकिन दीनानाथ अभी भी रोशन को पहचानने से इनकार कर रहा था । रोशन के पास अपनी बात को साबित करने के लिए ना तो कोई गवाह था और ना ही कोई सबूत । सच्चाई का पता करने के लिए बादशाह ने ये मामला बीरबल को सौंप दिया। बीरबल ने दोनों से दोबारा पूछताछ की लेकिन दीनानाथ अपनी बात पर अटल रहा । बीरबल ने रोशन से पूछा तुमने किस के सामने अपना धन दीनानाथ को दिया था । हुजुर बस एक आम के पेड के नीचे मैंने धन दिया था और कोई गवाह नही था । 

इसका मतलब तुम्हारा गवाह आम का पेड हैं ।जाओ तो उस आम के पेड से कहो कि वो तुम्हारे पक्ष में गवाही दे । अगर वो ना माने तो उसकी मिन्नतें करना लेकिन पेड को गवाही के लिए लेकर आना । तभी तुम्हारा धन तुम्हें वापस मिल सकता हैं । 

बेचारा रोशन बडबडाता हुआ चला गया । पेड भी भला गवाही दे सकता हैं । दीनानाथ और बीरबल महल में ही रोशन का इंतज़ार करने लगे । जब कुछ समय गुज़र गया तो बीरबल बोला, “ अब तक तो रोशन आम के पेड के पास पहुँच गया होगा और उससे मिन्नतें कर रहा होगा।” तभी दीनानाथ बोला, “ रोशन तो वृद्ध आदमी हैं वो इतनी जल्दी वहाँ नही पहुँच सकता अभी तो उसे काफी समय लग जाएगा क्योंकि वहाँ का रास्ता भी साफ नही हैं।” 

बीरबल शांत होकर रोशन का इंतज़ार करने लगे। 

बहुत देर बाद रोशन महल में आया और बोला, “ महाराज मैंने पेड से बहुत मिन्नतें की लेकिन वो वही का वही खड़ा रहा ।अब आप ही बता दीजिए मैं क्या करूँ ?” बीरबल ने रोशन को अश्वासन देते हुए कहा , “तुम चिंता मत करो पेड तुम्हारे पक्ष में गवाही देकर चला गया हैं । 

दीनानाथ ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, “ पेड कब आया? मैं तो कब से यही बैठा हुआ हूँ।” बीरबल बोले, “दीनानाथ जब मैंने तुमसे पूछा था कि रोशन उस पेड के पास पहुँच गया होगा तो तुमने तुरंत इनकार कर दिया। इसका मतलब कि तुम उस जगह के बारे में अच्छी तरह जानते थे लेकिन तुम झूठ बोल रहे थे। 

अब तुम सीधे सीधे अशर्फियों के बारे मे बताते हो या मै अपने तरीके से पूँछु। बेचारे दीनानाथ ने डर के मारे सब कुबूल कर लिया ।उसने रोशन से माफ़ी मांगकर उसका सारा धन वापस कर दिया। 

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