राष्ट्रिय युद्ध स्मारक के बारे में जानिए सब कुछ – Know Everything About National War Memorial
जो लोग नई दिल्ली के इंडिया गेट घूमने जाते थे अब उन्हें कुछ अतिरिक्त समय लेकर आना होगा क्योंकि अब वहाँ पर नेशनल वॉर मरोरियल का भी निर्माण हो चुका है। आजादी के बाद हुए सभी युद्धों और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जितने भी वीर सैनिकों ने अपने प्राण की आहुति दी, उन्हीं के याद में नई दिल्ली के इंडिया गेट परिसर में राष्ट्रिय युद्ध स्मारक या नैशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 25 फरवरी 2019 को शहीद जवानों के सम्मान में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) का उद्धाटन किया।
अभी तक दिल्ली में सिर्फ एक ही युद्ध स्मारक इंडिया गेट के तौर पर था, लेकिन वो प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए 84 हज़ार सैनिकों की याद में अंग्रेज़ों ने बनवाया था। बाद में 1971 के युद्ध में शहीद हुए करीब 4 हज़ार सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति बनाई गई थी। लेकिन ये पहला मौका है जब स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र के लिए अपनी जान देने वाले जवानों के सम्मान में यह स्मारक बनाया गया।
इस मेमोरियल में अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र, 4 चक्र होंगे। इनमें से अमर चक्र पर 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें हमेशा अमर ज्योति जलती रहेगी। वीर चक्र में आजादी के बाद भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई लड़ाईयों के बारे में बताया गया है। इसमें 1947-48, चीन से 1962 का युद्ध, 1965 का भारत-पाक युद्ध, 1971 का युद्ध, 1999 में कारगिल की लड़ाई के बारे में बताया गया है। त्याग चक्र में आजादी के बाद के युद्धों में शहीद होने वाले 25,942 सैनिकों का नाम लिखा गया है। इसमें 16 दीवारें हैं। इन सभी पर सुनहरे अक्षरों में शहीदों का नाम लिखा है। इसमें नौसेना, वायुसेना और थलसेना के सैनिकों का नाम शामिल है। और सबसे बाहर सुरक्षा चक्र है। जिसमें 695 पेड़ लगे हुए हैं। जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं। इस तरह से चार चक्रों में यह नेशनल वॉर मेमोरियल पूरा होता है। चक्रव्यूह की संरचना को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया है।
चलिये थोड़ा और अच्छे से समझते हैं इसको:
अमर चक्र – इसका मतलब हुआ यह राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी भी नहीं भुलाएगा, इस आश्वासन से साथ अमर ज्योति के निकट स्मारक स्तम्भ, सैनिकों की अमरता का प्रतिक है।
वीरता चक्र – इस चक्र में कांस्य भित्ति-चित्रों के माध्यम से युद्ध संक्रियाओं के दौरान हमारी सशस्त्र सेनाओं के शौर्यपूर्ण कारनामों को प्रदर्शित किया गया है।
त्याग चक्र – इस चक्र में सर्वोच्च बलिदान करने वाले सैनिकों के नाम वृताकार रूप में व्यवस्थित ग्रेनाइट की पट्टियों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है जो महाभारत के समय की चक्रव्यूह युद्ध रचना को दर्शाती है।
रक्षक चक्र – यह सबसे बाहरी चक्र है। इसमें घने वृक्षों की पंक्ति किसी भी प्रकार के खतरे से देश के नागरिकों की सुरक्षा का आश्वासन है जहाँ प्रत्येक वृक्ष राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता की दिन-रात रक्षा करने वाले बहुत से सैनिओकों का प्रतिनिधित्व करता है।
40 एकड़ में फैले इस स्मारक प्रॉजेक्ट पर करीब 176 करोड़ रुपये की लागत आई है। 1947-48 में पाकिस्तान के साथ युद्ध, 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन से युद्ध, 1965 में फिर से पाक से जंग, 1971 में बांग्लादेश निर्माण युद्ध, 1987 में सियाचिन, 1987-88 में श्रीलंका और फिर 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है। इस मेमोरियल में थल सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों को एक साथ श्रद्धांजलि दी गई है। उन सभी वीर सैनिकों के नाम स्मारक में दर्ज हैं। दुनिया के बड़े देशों में अब तक भारत ही था, जहां सैनिकों के बलिदान को याद करने के लिए युद्ध स्मारक नहीं था। इस स्मारक के साथ ही यह कमी पूरी हो गई है।
साल 2014-2015 में इसे बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई और 25 फरवरी 2019 तक इसे तैयार कर लिया गया। नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद अब शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए नेशनल वॉर मेमोरियल में ही होंगे। इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जाने की कोई फीस नही है। नेशनल वॉर मेमोरियल के पास ही 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं की कांस्य से प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
शहीदों के नाम को दीवार की ईटों में उभारकर लिखे गए हैं। स्मारक का निचला भाग अमर जवान ज्योति जैसा रखा गया है। स्मारक के डिजाइन में सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक का जिक्र है। ऐसी गैलरी भी है जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी को प्रदर्शित किया गया है। ग्रेनाइट पत्थरों पर योद्धाओं के नाम, रैंक व रेजिमेंट का उल्लेख किया गया है। ये स्मारक उन बलिदानियों की कहानी बयां करेगा जिनकी बदौलत हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
भारत के आजादी के बाद भी कई युद्धों और अभियानों में सैनिकों ने त्याग और बलिदान की मिसाल कायम की है। उनकी कुर्बानी को याद करने और सम्मान देने के लिए एक राष्ट्रीय स्मारक की जरूरत महसूस की गई। हांलाकि दिल्ली में बना इंडिया गेट हमारे पास पहले से तो था लेकिन यह अंग्रेजों के समय शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया था। लेकिन अब हमें अपना कुछ चाहिए था जिसमें आजादी से लेकर अब तक की कहानी हो। इसको बनाने की मांग तो करीब 60 साल पहले उठी थी। लेकिन इसे अंतिम मंजूरी साल 2015 में मोदी सरकार ने दी। अब यह स्मारक बनकर तैयार है और दर्शकों के लिए बिलकुल खुला भी है।
वीडियो: एलन मस्क ने कैसे अकेले दम पर पूरी दुनिया बदल दी ?
वीडियो: क्यों नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी तीन दिनों तक जलती रही थी?
हमारे फेसबुक पेज को लाइक और ट्विटर को फॉलो करें। वीडियो अपडेट्स के लिए यूट्यूब चैनल को भी जरूर सब्स्क्राइब करें।