आगरा का ताज महल – Taj Mahal in Agra
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दुनिया के अजूबे वाले इस खास सीरीज में आज बार करेंगे ताज महल के बारे में। यकीन मानिए, जब मैं यह वीडियो बनाने की तैयारी कर रहा था तो मेरे दिमाग में एक ही बात था कि ताज महल के बारे में ऐसा क्या है जो अब तक नहीं कहा गया है। फिर ख्याल आया कि यह एक ऐसा किस्सा है जो हमारे बचपन का हिस्सा है। तो चलिए आज आपको लेकर चलते हैं आगरा, जहाँ हम सब ताज महल की सैर करेंगे।
भारत के एक राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे बसा है ताजमहल। इसका निर्माण मुग़ल शासक शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था। ताज महल की गितनी विश्व के सात अजूबों में होती है। यह ताज महल मुमताज महल का मकबरा भी है। ताजमहल भारतीय, पर्सियन और इस्लामिक वास्तुशिल्पीय शैली के मिश्रण का उत्कृष्ट उदाहरण है। मुमताज़ महल परसिया देश की राजकुमारी थी, जिन्होने भारत के मुग़ल शासक शाहजहाँ से निकाह किया। मुमताज़ महल शाहजहाँ की सबसे चहेती पत्नी थी। वह मुमताज़ महल से बहुत प्रेम करते थे। साल 1631 में 37 वर्ष की उम्र में अपनी 14वीं संतान गौहरा बेगम को जन्म देते वक़्त उन्होंने अपना दम तोड़ दिया।
साल 1631 में मुमताज महल के मरने के बाद ही शाहजहाँ ने आधिकारिक रूप से ताजमहल का निर्माण कार्य की घोषणा की तथा 1632 में ताजमहल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। ताजमहल के जो मुख्य वास्तुशिल्प यानी कि आर्किटेक्ट थे, उनका नाम था उस्ताद अहमद लाहौरी। ताजमहल के निर्माण में काफी समय लगा। वैसे तो इस मकबरे का निर्माण 1643 में ही पूरा हो गया था, परंतु इसके सभी पहलुओं के काम करते करते इसे बनाने में लगभग दस साल और लग गए। यानी की साल 1653 में यह पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ। इसके निर्माण में 20,000 कारीगरों ने मुग़ल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी के अधीन कार्य किया। कहते हैं कि इसके निर्माण के बाद शाहजहाँ ने अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये। सम्पूर्ण ताजमहल का निर्माण 1653 में लगभग 320 लाख रुपये की लागत में हुआ।
मुग़ल शासन काल के दौरान लगभग सभी भवन के निर्माण में लाल पत्थरों का उपयोग किया गया, लेकिन ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने सफ़ेद संगमरमर को चुना। इन सफ़ेद संगमरमर पर कई प्रकार की नक्काशी तथा हीरे जड़ कर ताजमहल की दीवारों को सजाया गया। ताज महल का जो सम्पूर्ण भवन है वो कई हिस्सों में बंटा हुआ है। जैसे कि गुम्बद, मीनार, मकबरा, छतरियाँ, कलश और चबूतरा। इन सभी जगहों की अपनी एक विशेषता है।
मुमताज़ का मकबरा लगभग 42 एकड़ में फैला हुआ है। यह चारों तरफ से बगीचे से घिरा हुआ है। इस मकबरे की नींव वर्गाकार है। वर्गाकार के प्रत्येक किनारे 55 मीटर के हैं। अगर इसके इनर डायमेंशन की बात करें तो इस इमारत का आकार अष्टकोण (8 कोणों वाला) है, लेकिन इसके आठ कोणों की दीवारें बाकी के चार किनारों से बहुत चोटी है, इसलिए इस इमारत की नींव का आकार वर्ग जैसा माना जाता है। मुमताज़ महल के मकबरे के सबसे ऊपरी भाग पर सफ़ेद संगमरमर के गुंबद मौजूद है। यह गुंबद एक उल्टे कलश के जैसा रखा गया है। यह कलश फारसी तथा हिन्दू वस्तु कला को प्रदर्शित करता है। इस मकबरे के अंदरुनी हिस्से में एक विशाल केन्द्रीय कक्ष, इसके तत्काल नीचे एक तहखाना है और इसके नीचे शाही परिवारों के सदस्यों की कब्रों के लिए मूलत: आठ कोनों वाले चार कक्ष हैं। इस कक्ष के मध्य में शाहजहां और मुमताज़महल की कब्रें हैं। शाहजहां की कब्र बांईं और और अपनी प्रिय रानी की कब्र से कुछ ऊंचाई पर है जो गुम्बद के ठीक नीचे स्थित है। मुमताज महल की कब्र संगमरमर की जाली के बीच स्थित है, जिस पर पर्शियन में कुरान की आयतें लिखी हैं।
साल 1800 में ताजमहल के शिखर गुंबद पर स्थित कलश सोने का बना हुआ था, परंतु अब इसे कांसे के द्वारा निर्मित किया गया है। गुंबद को सहारा देने के लिए इसके चारों ओर छोटे गुंबद के आकार की छतरियाँ बनाई गयी है। इनके आधार से मुमताज़ महल के मकबरे पर रोशनी पड़ती है। ताजमहल के चारों कोनों पर 40 मीटर ऊंची चार मीनारें हैं। इन चारों मीनारों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि यह चारों मीनार हल्की सी बाहर की तरफ झुकी हुई हैं। इनका बाहर की तरफ झुकाव के पीछे यह तर्क रखा गया कि, इमारत के गिरने की स्थिति में यह मीनारें बाहर की तरफ ही गिरे, जिससे की मुख्य ताजमहल की इमारत को कोई नुकसान न पहुंचे। आसमान से बिजली गिरने के स्थिति में भी यह इन चरों मीनारों पर ही गिरेगी। मुख्य गुंबद को कोई खतरा नहीं होगा। ताजमहल की ऊंचाई 73 मीटर है।
शाहजहां ने इस अद्भूत चीज़ को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे। माना जाता है कि ताजमहल बनाने के लिए बगदाद से एक कारीगर बुलवाया गया जो पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था। इसी तरह बुखारा शहर से कारीगर को बुलवाया गया था, वह संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था। वहीं गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया गया और मिनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया था। और इस तरह अलग-अलग जगह से आए करीगरों ने ताजमहल बनाया था। ताज महल के दीवारों पर जो नकाशी बनाई गयी है, उसके ऊपर कई रिसर्च हो चुके हैं लेकिन कहीं भी इसके जैसा दूसरा नक्काशी नहीं मिला। इससे इस ताज महल की ऑरिजिनैलिटी के बारे में पता चलता है।
एक दिलचस्प किस्सा है। एक पुरानी कथा के अनुसार, शाहजहाँ की इच्छा थी कि यमुना के उस पार भी एक ठीक ऐसा ही, लेकिन काला ताजमहल का निर्माण हो, जिसमें उनकी कब्र बने। यह अनुमान जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने बताया था। टैवर्नियर पहला यूरोपियन यात्री था जो ताजमहल में घुमा था। यह साल 1665 की बात है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले कि वह काला ताजमहल बनवा पाए शाहजहाँ को अपदस्थ कर दिया गया और उसका बेटा औरंगजेब खुद ही गद्दी पर बैठ गया। यमुना के उस पार, माहताब बाग में काले पडे़ संगमर्मर की शिलाओं से इस तथ्य को बल मिलता है। लेकिन साल 1990 के दशक में की गईं खुदाई से पता चला, कि यह सफ़ेद संगमरमर ही थे, जो कि रखे-रखे काले पड़ गए थे।
17 हेक्टेयर की भूमि में फैले ताजमहल के चारों तरफ आकर्षक बाग़-बगीचे हैं तो इस जगह को एक कम्प्लीट टूरिस्ट प्लेस में अव्वल बनाता है। दुनिया भर के मशहूर हस्तियों ने इस विश्वप्रसिद्ध ताज महल का दीदार किया है। यहां चार बाग के रूप में भली भांति तैयार किए गए 300 x 300 मीटर के उद्यान हैं जो पैदल रास्ते के दोनों ओर फैले हुए हैं। इसके मध्य में एक मंच है जहां से पर्यटक ताज की तस्वीरें ले सकते हैं। ताजमहल का सबसे मनमोहक और सुंदर दृश्य पूर्णिमा की रात को दिखाई देता है।
ताजमहल को आम दर्शकों के देखने के लिए सूर्योदय से 30 मिनट पहले खोला जाता है और सूर्यास्त से 30 मिनट पहले बंद कर दिया जाता है। शुक्रवार को यह आम दर्शकों के लिए बंद रहता है। टिकट की बात करें तो भारतीय के लिए 50 रूपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 1100 रूपये खर्च करने होंगे। बाकि मेन मॉजोलियम को देखने के लिए 200 रूपये एक्स्ट्रा खर्च करने होंगे। यह सभी तरह के पर्यटकों के लिए है। दरअसल ताजमहल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सूर्योदय और सूर्यास्त इसके विजुअल को काफी अफेक्ट करते हैं इसीलिए लोग इसे सूर्योदय या फिर सूर्यास्त के समय देखना काफी पसंद करते हैं।
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