चुहिया का स्वयंवर – संधि-विग्रह की कहानी

गंगा नदी के किनारे एक तपस्वियों का आश्रम था । वहाँ याज्ञवल्क्य नाम के मुनि रहते थे । मुनिवर एक नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहे थे पूरा पढ़ें...

चुहिया का स्वयंवर – संधि-विग्रह की कहानी

दो सांपों की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

एक नगर में देवशक्ति नाम का राजा रहता था । उसके पुत्र के पेट में एक साँप चला गया था । उस साँप ने वहीं अपना बिल बना लिया था । पूरा पढ़ें...

दो सांपों की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

ब्राह्मण, चोर, और दानव की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

एक गाँव में द्रोण नाम का ब्राह्मण रहता था । भिक्षा माँग कर उसकी जीविका चलती थी । सर्दी-गर्मी रोकने के लिये उसके पास पर्याप्त वस्त्र भी नहीं थे । पूरा पढ़ें...

ब्राह्मण, चोर, और दानव की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

ब्राह्मण और सर्प की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था। पूरा पढ़ें...

ब्राह्मण और सर्प की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

कबूतर का जोड़ा और शिकारी – संधि-विग्रह की कहानी

एक जगह एक लोभी और निर्दय व्याध रहता था । पक्षियों को मारकर खाना ही उसका काम था । इस भयङकर काम के कारण उसके प्रियजनों ने भी उसका त्याग कर दिया था । पूरा पढ़ें...

कबूतर का जोड़ा और शिकारी – संधि-विग्रह की कहानी

बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – संधि-विग्रह की कहानी

किसी गांव में सम्भुदयाल नामक एक ब्राह्मण रहता था। एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा लेकर अपने घर जा रहा था। रास्ता लंबा और सुनसान था। पूरा पढ़ें...

बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – संधि-विग्रह की कहानी

धूर्त बिल्ली का न्याय – संधि-विग्रह की कहानी

एक जंगल में विशाल वृक्ष के तने में एक खोल के अन्दर कपिंजल नाम का तीतर रहता था । एक दिन वह तीतर अपने साथियों के साथ बहुत दूर के खेत में धान की नई-नई कोंपलें खाने चला गया। पूरा पढ़ें...

धूर्त बिल्ली का न्याय – संधि-विग्रह की कहानी

कौवे और उल्लू के वैर की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

एक बार हंस, तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर, उल्लू आदि सब पक्षियों ने सभा करके यह सलाह की कि उनका राजा वैनतेय केवल वासुदेव की भक्ति में लगा रहता है पूरा पढ़ें...

कौवे और उल्लू के वैर की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

अभागा बुनकर – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

एक नगर में सोमिलक नाम का जुलाहा रहता था । विविध प्रकार के रंगीन और सुन्दर वस्त्र बनाने के बाद भी उसे भोजन-वस्त्र मात्र से अधिक धन कभी प्राप्त नहीं होता था । पूरा पढ़ें...

अभागा बुनकर – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

व्यापारी के पुत्र की कहानी – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए। पूरा पढ़ें...

व्यापारी के पुत्र की कहानी – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी