बन्द दरवाज़ा – प्रेमचंद की कहानी

सूरज क्षितिज की गोद से निकला, बच्चा पालने से। वही स्निग्धता, वही लाली, वही खुमार, वही रोशनी।मैं बरामदे में बैठा था। बच्चे ने दरवाजे से झांका। मैंने मुस्कुराकर पुकारा। वह मेरी गोद में आकर बैठ गया। पूरा पढ़ें...

बन्द दरवाज़ा – प्रेमचंद की कहानी