कहानी – लाल पान की बेगम

पूर्णिमा का चाँद सिर पर आ गया है। …बिरजू की माँ ने असली रुपा का मँगटिक्का पहना है आज, पहली बार। बिरजू के बप्पा को हो क्या गया है, गाड़ी जोतता क्यों नहीं, मुँह की ओर एकटक देख रहा है, मानो नाच की लाल पान की… पूरा पढ़ें...

कहानी – लाल पान की बेगम

पद्मा और लिली – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कहानी

पद्मा के चन्द्र-मुख पर षोडश कला की शुभ्र चंद्रिका अम्लान खिल रही है। एकांत कुंज की कली-सी प्रणय के वासंती मलयस्पर्श से हिल उठती,विकास के लिए व्याकुल हो रही है। पूरा पढ़ें...

पद्मा और लिली – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कहानी

तांगेवाले की बड़ – प्रेमचंद की कहानी

लेखक को इलाहाबाद मे एक बार ताँगे मे लम्बा सफर करने का संयोग हुआ। तांगे वाले मियां जम्मन बड़े बातूनी थे। उनकी उम्र पचास के करीब थी, उनकी बड़ से रास्ता इस आसानी से तस हुआ कि कुछ मालूम ही न हुआ। पूरा पढ़ें...

तांगेवाले की बड़  – प्रेमचंद की कहानी

ठाकुर का कुआँ – प्रेमचंद की कहानी

जोखू ने लोटा मुंह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आई । गंगी से बोला-यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है पूरा पढ़ें...

ठाकुर का कुआँ – प्रेमचंद की कहानी

जुलूस – प्रेमचंद की कहानी

पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़ें, कुछ बालक झंडियां और झंडे लिये बंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो यह कोई तमाशा है पूरा पढ़ें...

जुलूस – प्रेमचंद की कहानी

कप्तान साहब – प्रेमचंद की कहानी

जगत सिंह को स्कूल जान कुनैन खाने या मछली का तेल पीने से कम अप्रिय न था। वह सैलानी, आवारा, घुमक्कड़ युवक थां कभी अमरूद के बागों की ओर निकल जाता और अमरूदों के साथ माली की गालियॉँ बड़े शौक से खाता। पूरा पढ़ें...

कप्तान साहब – प्रेमचंद की कहानी

क़ातिल – प्रेमचंद की कहानी

आधी रात थी। नदी का किनारा था। आकाश के तारे स्थिर थे और नदी में उनका प्रतिबिम्ब लहरों के साथ चंचल। एक स्वर्गीय संगीत की मनोहर और जीवनदायिनी, प्राण-पोषिणी घ्वनियॉँ इस निस्तब्ध और तमोमय दृश्य पर इस प्रकाश छा रही थी, जैसे हृदय पर आशाऍं छायी रहती हैं, पूरा पढ़ें...

क़ातिल – प्रेमचंद की कहानी

क्रिकेट मैच मचंद – प्रेमचंद की कहानी

आज क्रिकेट मैच में मुझे जितनी निराशा हुई मैं उसे व्यक्त नहीं कर हार सकता। हमारी टीम दुश्मनों से कहीं ज्यादा मजबूत था मगर हमें हार हुई और वे लोग जीत का डंका बजाते हुए ट्राफी उड़ा ले गये। क्यों? पूरा पढ़ें...

क्रिकेट मैच मचंद – प्रेमचंद की कहानी

कौशल – प्रेमचंद की कहानी

पंडित बलराम शास्त्री की धर्मपत्नी माया को बहुत दिनों से एक हार की लालसा थी और वह सैकडो ही बार पंडित जी से उसके लिए आग्रह कर चुकी थी, किन्तु पण्डित जी हीला- हवाला करते रहते थे। पूरा पढ़ें...

कौशल – प्रेमचंद की कहानी

कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो – प्रेमचंद की कहानी

उन दिनों दूध की तकलीफ थी। कई डेरी फर्मों की आजमाइश की, अहारों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं। दो-चार दिन तो दूध अच्छा, मिलता फिर मिलावट शुरू हो जाती। पूरा पढ़ें...

कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो – प्रेमचंद की कहानी