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बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर – संधि-विग्रह की कहानी
किसी ग्राम में किसान दम्पती रहा करते थे। किसान तो वृद्ध था पर उसकी पत्नी युवती थी। अपने पति से संतुष्ट न रहने के कारण किसान की पत्नी सदा पर-पुरुष की टोह में रहती थी पूरा पढ़ें...
ब्राह्मण और सर्प की कथा – संधि-विग्रह की कहानी
किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था। पूरा पढ़ें...
कबूतर का जोड़ा और शिकारी – संधि-विग्रह की कहानी
एक जगह एक लोभी और निर्दय व्याध रहता था । पक्षियों को मारकर खाना ही उसका काम था । इस भयङकर काम के कारण उसके प्रियजनों ने भी उसका त्याग कर दिया था । पूरा पढ़ें...
बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – संधि-विग्रह की कहानी
किसी गांव में सम्भुदयाल नामक एक ब्राह्मण रहता था। एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा लेकर अपने घर जा रहा था। रास्ता लंबा और सुनसान था। पूरा पढ़ें...
धूर्त बिल्ली का न्याय – संधि-विग्रह की कहानी
एक जंगल में विशाल वृक्ष के तने में एक खोल के अन्दर कपिंजल नाम का तीतर रहता था । एक दिन वह तीतर अपने साथियों के साथ बहुत दूर के खेत में धान की नई-नई कोंपलें खाने चला गया। पूरा पढ़ें...
हाथी और चतुर खरगोश – संधि-विग्रह की कहानी
एक वन में ’चतुर्दन्त’ नाम का महाकाय हाथी रहता था । वह अपने हाथीदल का मुखिया था । बरसों तक सूखा पड़ने के कारण वहा के सब झील, तलैया, ताल सूख गये, और वृक्ष मुरझा गए पूरा पढ़ें...
कौवे और उल्लू के वैर की कथा – संधि-विग्रह की कहानी
एक बार हंस, तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर, उल्लू आदि सब पक्षियों ने सभा करके यह सलाह की कि उनका राजा वैनतेय केवल वासुदेव की भक्ति में लगा रहता है पूरा पढ़ें...
व्यापारी के पुत्र की कहानी – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए। पूरा पढ़ें...
ब्राह्मणी और तिल के बीज – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
एक बार की बात है एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था, एक समय उनके यहाँ कुछ अतिथि आये, घर में खाने पीने का सारा सामान ख़त्म हो चुका था, इसी बात को लेकर ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्नी में यह बातचीत हो रही थी: पूरा पढ़ें...
गजराज और मूषकराज की कथा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी
प्राचीन काल में एक नदी के किनारे बसा नगर व्यापार का केन्द्र था। फिर आए उस नगर के बुरे दिन, जब एक वर्ष भारी वर्षा हुई। नदी ने अपना रास्ता बदल दिया। पूरा पढ़ें...