प्रतिशोध – प्रेमचंद की कहानी

माया अपने तिमंजिले मकान की छत पर खड़ी सड़क की ओर उद्विग्न और अधीर आंखों से ताक रही थी और सोच रही थी, वह अब तक आये क्यों नहीं ? कहां देर लगायी ? पूरा पढ़ें...

प्रतिशोध – प्रेमचंद की कहानी