Tag: Hindi Kahani
कहानी – ठंडा गोश्त
कुलवन्त कौन का ऊपरी होंठ दाँतों तले किचकिचाया, उभरे हुए सीने को भँभोडा, गालों के मुंह भर-भरकर बोसे लिये और चूस-चूसकर उसका सीना थूकों से लथेड़ दिया। पूरा पढ़ें...
कहानी – पंचलाइट (पंचलैट)
गोधन पंचलैट बालना जानता है। लेकिन, गोधन का हुक्का-पानी पंचायत से बंद है। पूरा पढ़ें...
दो सर वाला पक्षी – अपरीक्षित कारक की कहानी
एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था । इसके मुख दो थे, किन्तु पेट एक ही था । एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृतसमान मधुर फल मिला । पूरा पढ़ें...
राक्षस का भय – अपरीक्षित कारक की कहानी
एक नगर में भद्रसेन नाम का राजा रहता था। उसकी कन्या रत्नवती बहुत रुपवती थी। उसे हर समय यही डर रहता था कि कोई राक्षस उसका अपहरण न करले । पूरा पढ़ें...
वानरराज का बदला – अपरीक्षित कारक की कहानी
एक नगर के राजा चन्द्र के पुत्रों को बन्दरों से खेलने का व्यसन था । बन्दरों का सरदार भी बड़ा चतुर था । वह सब बन्दरों को नीतिशास्त्र पढ़ाया करता था पूरा पढ़ें...
दो सिर वाला जुलाहा – अपरीक्षित कारक की कहानी
एक बार मन्थरक नाम के जुलाहे के सब उपकरण, जो कपड़ा बुनने के काम आते थे, टूट गये । उपकरणों को फिर बनाने के लिये लकड़ी की जरुरत थी । पूरा पढ़ें...
ब्राह्मण का सपना – अपरीक्षित कारक की कहानी
एक नगर में कोई कंजूस ब्राह्मण रहता था । उसने भिक्षा से प्राप्त सत्तुओं में से थोडे़ से खाकर शेष से एक घड़ा भर लिया था । उस घड़े को उसने रस्सी से बांधकर खूंटी पर लटका दिया पूरा पढ़ें...
संगीतमय गधा – अपरीक्षित कारक की कहानी
एक धोबी का गधा था। वह दिन भर कपडों के गट्ठर इधर से उधर ढोने में लगा रहता। धोबी स्वयं कंजूस और निर्दयी था। अपने गधे के लिए चारे का प्रबंध नहीं करता था। पूरा पढ़ें...
सिंदबाद जहाजी की चौथी समुद्री यात्रा
बादशाह के कब्जे में जो द्वीप था वह बहुत बड़ा और धन-धान्य से पूर्ण था। उसने मुझे अपना दरबारी बना लिया। लोग मुझे देखकर ऐसा बर्ताव करने लगे जैसे मैं उनके देश का निवासी हूँ। पूरा पढ़ें...
सिंदबाद जहाजी की तीसरी समुद्री यात्रा
तीसरी समुद्र यात्रा का वर्णन करने के बाद सिंहबाद ने हिंदबाद को चार सौ दीनारें दीं। पूरा पढ़ें...