सिंदबाद जहाजी की सातवीं समुद्री यात्रा

इससे पहले बहुत-से गुलाम खो कर भी मैं मामूली लाभ ही पाता था, अब तुम्हारे कारण मैं ही नहीं इस नगर के सारे व्यापारी संपन्न हो जाएँगे। पूरा पढ़ें...

सिंदबाद जहाजी की सातवीं समुद्री यात्रा

दो सर वाला पक्षी – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था । इसके मुख दो थे, किन्तु पेट एक ही था । एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृतसमान मधुर फल मिला । पूरा पढ़ें...

दो सर वाला पक्षी – अपरीक्षित कारक की कहानी

राक्षस का भय – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक नगर में भद्रसेन नाम का राजा रहता था। उसकी कन्या रत्‍नवती बहुत रुपवती थी। उसे हर समय यही डर रहता था कि कोई राक्षस उसका अपहरण न करले । पूरा पढ़ें...

राक्षस का भय – अपरीक्षित कारक की  कहानी

सिंदबाद जहाजी की पांचवीं समुद्री यात्रा

जब जोर की ठक-ठक की आवाज के साथ बच्चे की चोंच अंडा तोड़ कर निकली तो व्यापारियों को सूझा कि रुख के बच्चे को भूनकर खा जाएँ। पूरा पढ़ें...

सिंदबाद जहाजी की पांचवीं समुद्री यात्रा

वानरराज का बदला – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक नगर के राजा चन्द्र के पुत्रों को बन्दरों से खेलने का व्यसन था । बन्दरों का सरदार भी बड़ा चतुर था । वह सब बन्दरों को नीतिशास्त्र पढ़ाया करता था पूरा पढ़ें...

वानरराज का बदला – अपरीक्षित कारक की  कहानी

दो सिर वाला जुलाहा – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक बार मन्थरक नाम के जुलाहे के सब उपकरण, जो कपड़ा बुनने के काम आते थे, टूट गये । उपकरणों को फिर बनाने के लिये लकड़ी की जरुरत थी । पूरा पढ़ें...

दो सिर वाला जुलाहा – अपरीक्षित कारक की  कहानी

ब्राह्मण का सपना – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक नगर में कोई कंजूस ब्राह्मण रहता था । उसने भिक्षा से प्राप्त सत्तुओं में से थोडे़ से खाकर शेष से एक घड़ा भर लिया था । उस घड़े को उसने रस्सी से बांधकर खूंटी पर लटका दिया पूरा पढ़ें...

ब्राह्मण का सपना – अपरीक्षित कारक की  कहानी

संगीतमय गधा – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक धोबी का गधा था। वह दिन भर कपडों के गट्ठर इधर से उधर ढोने में लगा रहता। धोबी स्वयं कंजूस और निर्दयी था। अपने गधे के लिए चारे का प्रबंध नहीं करता था। पूरा पढ़ें...

संगीतमय गधा – अपरीक्षित कारक की  कहानी

दो मछलियों और एक मेंढक की कथा – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक तालाब में दो मछ़लियाँ रहती थीं । एक थी शतबुद्धि (सौ बुद्धियों वाली), दूसरी थी सहस्त्रबुद्धि (हजार बुद्धियों वाली) । उसी तालाब में एक मेंढक भी रहता था । पूरा पढ़ें...

दो मछलियों और एक मेंढक की कथा – अपरीक्षित कारक की  कहानी

जब शेर जी उठा – अपरीक्षित कारक की कहानी

एक नगर में चार मित्र रहते थे । उनमें से तीन बड़े वैज्ञानिक थे, किन्तु बुद्धिरहित थे; चौथा वैज्ञानिक नहीं था, किन्तु बुद्धिमान् था । चारों ने सोचा कि विद्या का लाभ तभी हो सकता है पूरा पढ़ें...

जब शेर जी उठा – अपरीक्षित कारक की  कहानी