कुम्हार की कहानी – लब्ध प्रणाश की कहानी

युधिष्ठिर नाम का कुम्हार एक बार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकरा कर गिर गया । गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया । खून बहने लगा । पूरा पढ़ें...

कुम्हार की कहानी – लब्ध प्रणाश की कहानी

शेर और मूर्ख गधा – लब्ध प्रणाश की कहानी

एक घने जङगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था । उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था । पूरा पढ़ें...

शेर और मूर्ख गधा – लब्ध प्रणाश की कहानी

लालची नागदेव और मेढकों का राजा – लब्ध प्रणाशा की कहानी

एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगडालू स्वभाव का था। आसपास दो तीन और भी कुएं थे। पूरा पढ़ें...

लालची नागदेव और मेढकों का राजा – लब्ध प्रणाशा की कहानी

बंदर का कलेजा और मगरमच्छ – लब्ध प्रणाशा की कहानी

किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे-रसीले फल लगते थे। बंदर उन्हें भरपेट खाता और मौज उड़ाता। वह अकेला ही मजे में दिन गुजार रहा था। पूरा पढ़ें...

बंदर का कलेजा और मगरमच्छ – लब्ध प्रणाशा की कहानी

कौवे और उल्लू का युद्ध – संधि-विग्रह की कहानी

दक्षिण देश में महिलारोप्य नाम का एक नगर था । नगर के पास एक बड़ा पीपल का वृक्ष था । उसकी घने पत्तों से ढकी शाखाओं पर पक्षियों के घोंसले बने हुए थे । पूरा पढ़ें...

कौवे और उल्लू का युद्ध – संधि-विग्रह की कहानी

बोलने वाली गुफा – संधि-विग्रह की कहानी

किसी जंगल में एक शेर रहता था। एक बार वह दिन-भर भटकता रहा, किंतु भोजन के लिए कोई जानवर नहीं मिला। थककर वह एक गुफा के अंदर आकर बैठ गया। पूरा पढ़ें...

बोलने वाली गुफा – संधि-विग्रह की कहानी

सुनहरे गोबर की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

एक पर्वतीय प्रदेश के महाकाय वृक्ष पर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था । उसकी विष्ठा में स्वर्ण-कण होते थे । एक दिन एक व्याध उधर से गुजर रहा था । पूरा पढ़ें...

सुनहरे गोबर की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

चुहिया का स्वयंवर – संधि-विग्रह की कहानी

गंगा नदी के किनारे एक तपस्वियों का आश्रम था । वहाँ याज्ञवल्क्य नाम के मुनि रहते थे । मुनिवर एक नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहे थे पूरा पढ़ें...

चुहिया का स्वयंवर – संधि-विग्रह की कहानी

दो सांपों की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

एक नगर में देवशक्ति नाम का राजा रहता था । उसके पुत्र के पेट में एक साँप चला गया था । उस साँप ने वहीं अपना बिल बना लिया था । पूरा पढ़ें...

दो सांपों की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

ब्राह्मण, चोर, और दानव की कथा – संधि-विग्रह की कहानी

एक गाँव में द्रोण नाम का ब्राह्मण रहता था । भिक्षा माँग कर उसकी जीविका चलती थी । सर्दी-गर्मी रोकने के लिये उसके पास पर्याप्त वस्त्र भी नहीं थे । पूरा पढ़ें...

ब्राह्मण, चोर, और दानव की कथा – संधि-विग्रह की कहानी