गधा और मेंढक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी

एक गधा लकड़ी का भारी बोझ लिए जा रहा था। वह एक दलदल में गिर गया। वहाँ मेंढकों के बीच जा लगा। रेंकता और चिल्‍लाता हुआ वह उस तरह साँसें भरने लगा, जैसे दूसरे ही क्षण मर जाएगा। पूरा पढ़ें...

गधा और मेंढक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी