झाँकी – प्रेमचंद की कहानी

कई दिन से घर में कलह मचा हुआ था। मॉँ अलग मुँह फुलाए बैठी थीं, स्त्री अलग। घर की वायु में जैसे विष भरा हुआ था। रात को भोजन नहीं बना, दिन को मैंने स्टोव पर खिचड़ी डाली: पर खाया किसी ने नहीं। पूरा पढ़ें...

झाँकी – प्रेमचंद की कहानी