Tag: Munshi Premchand Ki Kahani
शोक का पुरस्कार – प्रेमचंद की कहानी
आज तीन दिन गुजर गये। शाम का वक्त था। मैं यूनिवर्सिटी हाल से खुश-खुश चला आ रहा था। मेरे सैंकड़ों दोस्त मुझे बधाइयॉँ दे रहे थे। मारे खुशी के मेरी बॉँछें खिली जाती थीं। पूरा पढ़ें...
शादी की वजह – प्रेमचंद की कहानी
यह सवाल टेढ़ा है कि लोग शादी क्यो करते है? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की जरूरत होती है लेकिन मौजूदा हालत मे आम तौर पर शादी की यह सच्ची वजह नही होती बल्कि शादी सभ्य जीवन की एक रस्म-सी हो गई है। पूरा पढ़ें...
शांति – प्रेमचंद की कहानी
स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियां आंखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा रो लेता हूं। हमारे देर रो लेता हूं। पूरा पढ़ें...
शूद्र – प्रेमचंद की कहानी
मां और बेटी एक झोंपड़ी में गांव के उसे सिरे पर रहती थीं। बेटी बाग से पत्तियां बटोर लाती, मां भाड़-झोंकती। यही उनकी जीविका थी। सेर-दो सेर अनाज मिल जाता था, खाकर पड़ रहती थीं। पूरा पढ़ें...
शंखनाद – प्रेमचंद की कहानी
भानु चौधरी अपने गाँव के मुखिया थे। गाँव में उनका बड़ा मान था। दारोगा जी उन्हें टाट बिना जमीन पर न बैठने देते। मुखिया साहब की ऐसी धाक बँधी हुई थी कि उनकी मरजी बिना गाँव में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता था। पूरा पढ़ें...
विश्वास – प्रेमचंद की कहानी
उन दिनो मिस जोसी बम्बई सभ्य-समाज की राधिका थी। थी तो वह एक छोटी सी कन्या पाठशाला की अध्यापिका पर उसका ठाट-बाट, मान-सम्मान बड़ी-बडी धन-रानियों को भी लज्जित करता था। पूरा पढ़ें...
विजय – प्रेमचंद की कहानी
शहज़ादा मसरूर की शादी मलका मख़मूर से हुई और दोनों आराम से ज़िन्दगी बसर करने लगे। मसरूर ढोर चराता, खेत जोतता, मख़मूर खाना पकाती और चरखा चलाती। पूरा पढ़ें...
वासना की कड़ियाँ – प्रेमचंद की कहानी
बहादुर, भाग्यशाली क़ासिम मुलतान की लड़ाई जीतकर घमंउ के नशे से चूर चला आता था। शाम हो गयी थी, लश्कर के लोग आरामगाह की तलाश मे नज़रें दौड़ाते थे, पूरा पढ़ें...
वफ़ा का खंजर – प्रेमचंद की कहानी
जयगढ़ और विजयगढ़ दो बहुत ही हरे-भ्ररे, सुसंस्कृत, दूर-दूर तक फैले हुए, मजबूत राज्य थे। दोनों ही में विद्या और कलाद खूब उन्न्त थी। दोनों का धर्म एक, रस्म-रिवाज एक पूरा पढ़ें...
लैला – प्रेमचंद की कहानी
यह कोई न जानता था कि लैला कौन है, कहां है, कहां से आयी है और क्या करती है। एक दिन लोगों ने एक अनुपम सुंदरी को तेहरान के चौक में अपने डफ पर हाफिज की एक गजल झूम-झूम कर गाते सुना – पूरा पढ़ें...