Tag: Munshi Premchand
कहानी – बड़े घर की बेटी
जिस तरह सूखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है-उसी तरह क्षुधा से बावला मनुष्य जरा-जरा सी बात पर तिनक जाता है। लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बहुत बुरी मालूम हुई, तिनक कर बोला-मैके में तो चाहे घी की नदी बहती हो पूरा पढ़ें...
कहानी: एक चिनगारी घर को जला देती है
लियो टॉलस्टॉय एक रुसी लेखक थे. या फिर यूँ कहे कि अब तक के सबसे महान साहित्यकारों में से एक थे. उन्होंने अनेक कृतियों की रचना की. उनके लिखे कहानी को संसार के लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. टॉलस्टॉय के कहानी "एक चिनगारी घर को जला देती है" को हिंदी में अनुवाद किये है हिंदी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद. पूरा पढ़ें...
कहानी – डिमॉन्सट्रेशन
मेज पर ड्रामे की हस्तलिपि पड़ी हुई थी। ड्रामेटिस्ट ने उसे उठा लिया। गुरुप्रसाद ने दीन नेत्रों से विनोद की ओर देखा, विनोद ने अमर की ओर, अमर ने रसिक की ओर, पर शब्द किसी के मुँह से न निकला। सेठजी ने मानो, सभी के मुँह-सी दिये हों। ड्रामेटिस्ट साहब किताब लेकर चल दिये। पूरा पढ़ें...
कहानी – विद्रोही
पाँच साल की होगी। बचपन का वह दिन आज भी आँखों के सामने है, जब तारा एक फ्रॉक पहने, बालों में एक गुलाब का फूल गूंथे हुए मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी। पूरा पढ़ें...
कहानी – कफ़न
मेरी औरत जब मरी थी, तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नहीं; और फिर मुझसे लजाएगी कि नहीं? जिसका कभी मुँह नहीं देखा, आज उसका उघड़ा हुआ बदन देखूँ! उसे तन की सुध भी तो न होगी? मुझे देख लेगी तो खुलकर हाथ-पाँव भी न पटक सकेगी! पूरा पढ़ें...
कहानी – दिल की रानी
तैमूर ने कितनी मुहब्बत से हबीब के सफर की तैयारियाँ की। तरह-तरह के आराम और तकल्लुफ की चीजें उसके लिये जमा कीं। उस कोहिस्तान में यह चीजें कहाँ मिलेंगी। वह ऐसा संलग्न था, मानों माता अपनी लड़की को ससुराल भेज रही हो। पूरा पढ़ें...
कहानी – माँ
इस भाँति तीन दिन गुजर गये। संध्या हो गयी थी। तीन दिन की जागी आँखें जरा झपक गयी। करुणा ने देखा, एक लम्बा-चौड़ा कमरा है, उसमें मेजें और कुर्सियाँ लगी हुई हैं, बीच में ऊँचे मंच पर कोई आदमी बैठा हुआ है। करुणा ने ध्यान से देखा, प्रकाश था। पूरा पढ़ें...
कहानी – पूस की रात
चिलम पीकर हल्कू फिर लेटा और निश्चय करके लेटा कि चाहे कुछ हो अबकी सो जाऊंगा, पर एक ही क्षण में उसके हृदय में कम्पन होने लगा. कभी इस करवट लेटता, कभी उस करवट, पर जाड़ा किसी पिशाच की भांति उसकी छाती को दबाये हुए था. पूरा पढ़ें...
कहानी – ईदगाह
प्रेमचंद के माँ के गुजर जाने के बाद उनकी दादी ने उनका पालन पोषण किया था. इसी रिश्ते को भावनात्मक रूप में पिरोकर प्रेमचंद ने दादी-पोते के रिश्ते पर यह खूबसूरत कहानी को लिखे है. आइए आपको ईदगाह पर ले चलते है. पूरा पढ़ें...