टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान – मित्रभेद की कहानी

समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोडा़ रहता था । अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा । टिटिहरे ने कहा - "यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिन्ता न कर ।" पूरा पढ़ें...

टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान – मित्रभेद की कहानी

शेर, ऊंट, सियार और कौवा – मित्रभेद की कहानी

किसी वन में मदोत्कट नाम का सिंह निवास करता था। बाघ, कौआ और सियार, ये तीन उसके नौकर थे। एक दिन उन्होंने एक ऐसे उंट को देखा जो अपने गिरोह से भटककर उनकी ओर आ गया था। पूरा पढ़ें...

शेर, ऊंट, सियार और कौवा – मित्रभेद की कहानी

नीले सियार की कहानी – मित्रभेद की कहानी

एक बार की बात हैं कि एक सियार जंगल में एक पुराने पेड के नीचे खडा था। पूरा पेड हवा के तेज झोंके से गिर पडा। सियार उसकी चपेट में आ गया और बुरी तरह घायल हो गया। पूरा पढ़ें...

नीले सियार की कहानी – मित्रभेद की कहानी

खटमल और बेचारी जूं – मित्रभेद की कहानी

एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था। रोज रात को जब राजा जाता तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूसकर फिर अपने स्थान पर जा छिपती। पूरा पढ़ें...

खटमल और बेचारी जूं – मित्रभेद की कहानी

खरगोश और शेर – मित्रभेद की कहानी

किसी घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। वह रोज शिकार पर निकलता और एक ही नहीं, दो नहीं कई-कई जानवरों का काम तमाम कर देता। पूरा पढ़ें...

खरगोश और शेर – मित्रभेद की कहानी

बगुला भगत और केकड़ा – मित्रभेद की कहानी

एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, पूरा पढ़ें...

बगुला भगत और केकड़ा – मित्रभेद की कहानी

दुष्ट सर्प और कौवे – मित्रभेद की कहानी

एक जंगल में एक बहुत पुराना बरगद का पेड था। उस पेड पर घोंसला बनाकर एक कौआ-कव्वी का जोडा रहता था। उसी पेड के खोखले तने में कहीं से आकर एक दुष्ट सर्प रहने लगा। हर वर्ष मौसम आने पर कव्वी घोंसले में अंडे देती और दुष्ट सर्प मौक़ा पाकर उनके घोंसले में जाकर अंडे खा जाता। पूरा पढ़ें...

दुष्ट सर्प और कौवे – मित्रभेद की कहानी

पंचतंत्र की प्रमुख कहानियाँ

पंचतंत्र एक विश्वविख्यात कथा ग्रन्थ है, जिसके रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा है. इस ग्रन्थ में प्रतिपादित राजनीति के पाँच तंत्र (भाग) हैं. इसी कारण से इसे 'पंचतंत्र' नाम प्राप्त हुआ है. पूरा पढ़ें...

पंचतंत्र की प्रमुख कहानियाँ