Tag: Panchtantra ki Kahaniya
लालची नागदेव और मेढकों का राजा – लब्ध प्रणाशा की कहानी
एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगडालू स्वभाव का था। आसपास दो तीन और भी कुएं थे। पूरा पढ़ें...
बंदर का कलेजा और मगरमच्छ – लब्ध प्रणाशा की कहानी
किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे-रसीले फल लगते थे। बंदर उन्हें भरपेट खाता और मौज उड़ाता। वह अकेला ही मजे में दिन गुजार रहा था। पूरा पढ़ें...
कौवे और उल्लू का युद्ध – संधि-विग्रह की कहानी
दक्षिण देश में महिलारोप्य नाम का एक नगर था । नगर के पास एक बड़ा पीपल का वृक्ष था । उसकी घने पत्तों से ढकी शाखाओं पर पक्षियों के घोंसले बने हुए थे । पूरा पढ़ें...
बोलने वाली गुफा – संधि-विग्रह की कहानी
किसी जंगल में एक शेर रहता था। एक बार वह दिन-भर भटकता रहा, किंतु भोजन के लिए कोई जानवर नहीं मिला। थककर वह एक गुफा के अंदर आकर बैठ गया। पूरा पढ़ें...
सुनहरे गोबर की कथा – संधि-विग्रह की कहानी
एक पर्वतीय प्रदेश के महाकाय वृक्ष पर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था । उसकी विष्ठा में स्वर्ण-कण होते थे । एक दिन एक व्याध उधर से गुजर रहा था । पूरा पढ़ें...
चुहिया का स्वयंवर – संधि-विग्रह की कहानी
गंगा नदी के किनारे एक तपस्वियों का आश्रम था । वहाँ याज्ञवल्क्य नाम के मुनि रहते थे । मुनिवर एक नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहे थे पूरा पढ़ें...
दो सांपों की कथा – संधि-विग्रह की कहानी
एक नगर में देवशक्ति नाम का राजा रहता था । उसके पुत्र के पेट में एक साँप चला गया था । उस साँप ने वहीं अपना बिल बना लिया था । पूरा पढ़ें...
ब्राह्मण, चोर, और दानव की कथा – संधि-विग्रह की कहानी
एक गाँव में द्रोण नाम का ब्राह्मण रहता था । भिक्षा माँग कर उसकी जीविका चलती थी । सर्दी-गर्मी रोकने के लिये उसके पास पर्याप्त वस्त्र भी नहीं थे । पूरा पढ़ें...
बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर – संधि-विग्रह की कहानी
किसी ग्राम में किसान दम्पती रहा करते थे। किसान तो वृद्ध था पर उसकी पत्नी युवती थी। अपने पति से संतुष्ट न रहने के कारण किसान की पत्नी सदा पर-पुरुष की टोह में रहती थी पूरा पढ़ें...
ब्राह्मण और सर्प की कथा – संधि-विग्रह की कहानी
किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था। पूरा पढ़ें...