दिल की रानी – प्रेमचंद की कहानी

जिस वीर तुर्कों के प्रखर प्रताप से ईसाई दुनिया कौप रही थी , उन्‍हीं का रक्‍त आज कुस्‍तुनतुनिया की गलियों में बह रहा है। पूरा पढ़ें...

दिल की रानी – प्रेमचंद की कहानी

देवी – प्रेमचंद की कहानी

रात भीग चुकी थी। मैं बरामदे में खड़ा था। सामने अमीनुद्दौला पार्क नींद में डूबा खड़ा था। सिर्फ़ एक औरत एक तकियादार बैंच पर बैठी हुई थी। पार्क के बाहर सड़क के किनारे एक फ़कीर खड़ा राहगीरों को दुआएं दे रहा था। पूरा पढ़ें...

देवी – प्रेमचंद की कहानी

त्रिया चरित्र – प्रेमचंद की कहानी

सेठ लगनदास जी के जीवन की बगिया फलहीन थी। कोई ऐसा मानवीय, आध्यात्मिक या चिकित्सात्मक प्रयत्न न था जो उन्होंने न किया हो। पूरा पढ़ें...

त्रिया चरित्र – प्रेमचंद की कहानी

तेंतर – प्रेमचंद की कहानी

आखिर वही हुआ जिसकी आंशका थी; जिसकी चिंता में घर के सभी लोग और विषेशत: प्रसूता पड़ी हुई थी। तीनो पुत्रो के पश्चात् कन्या का जन्म हुआ। पूरा पढ़ें...

तेंतर – प्रेमचंद की कहानी

झाँकी – प्रेमचंद की कहानी

कई दिन से घर में कलह मचा हुआ था। मॉँ अलग मुँह फुलाए बैठी थीं, स्त्री अलग। घर की वायु में जैसे विष भरा हुआ था। रात को भोजन नहीं बना, दिन को मैंने स्टोव पर खिचड़ी डाली: पर खाया किसी ने नहीं। पूरा पढ़ें...

झाँकी – प्रेमचंद की कहानी

इज्ज़त का ख़ून – प्रेमचंद की कहानी

मैंने कहानियों और इतिहासो मे तकदीर के उलट फेर की अजीबो- गरीब दास्ताने पढी हैं । शाह को भिखमंगा और भिखमंगें को शाह बनते देखा है तकदीर एक छिपा हुआ भेद हैं । पूरा पढ़ें...

इज्ज़त का ख़ून – प्रेमचंद की कहानी

ईश्वरीय न्याय – प्रेमचंद की कहानी

कानपुर जिले में पंडित भृगुदत्त नामक एक बड़े जमींदार थे। मुंशी सत्यनारायण उनके कारिंदा थे। वह बड़े स्वामिभक्त और सच्चरित्र मनुष्य थे। पूरा पढ़ें...

ईश्वरीय न्याय – प्रेमचंद की कहानी

एक्ट्रेस – प्रेमचंद की कहानी

रंगमंच का परदा गिर गया। तारा देवी ने शकुंतला का पार्ट खेलकर दर्शकों को मुग्ध कर दिया था पूरा पढ़ें...

एक्ट्रेस – प्रेमचंद की कहानी

इस्तीफ़ा – प्रेमचंद की कहानी

दफ़्तर का बाबू एक बेज़बान जीव है। मजदूरों को ऑंखें दिखाओ, तो वह त्योरियॉँ बदल कर खड़ा हो जायकाह। कुली को एक डाँट बताओं, तो सिर से बोझ फेंक कर अपनी राह लेगा। पूरा पढ़ें...

इस्तीफ़ा  – प्रेमचंद की कहानी

उद्धार – प्रेमचंद की कहानी

हिंदू समाज की वैवाहिक प्रथा इतनी दुषित, इतनी चिंताजनक, इतनी भयंकर हो गयी है कि कुछ समझ में नहीं आता, उसका सुधार क्योंकर हो। पूरा पढ़ें...

उद्धार – प्रेमचंद की कहानी