Category: साहित्य
साहित्य – संगीत – कलाविहीनः, साक्षातपशु पुच्छविषानहीनः. मतलब ये कि जिस इंसान को साहित्य, संगीत और कला में दिलचस्पी नहीं है वो बिना पूँछ के पशु सामान है. और हमें बखूबी पता है कि आप ऐसे नहीं है. आपको तो दिलचस्पी है ही. तो यहाँ पर आपको कहानी, कविता, व्ययंग, प्रहसन और बहुत सारे ऐसे चीज मिलेंगे जिनसे आपकी साहित्यिक दिलचस्पी को पूरा किया जा सकेगा (बी पॉजिटिव).
कहानी – आख़िरी तोहफ़ा
सारे शहर में सिर्फ एक ऐसी दुकान थी, जहॉँ विलायती रेशमी साड़ी मिल सकती थीं। और सभी दुकानदारों ने विलायती कपड़े पर कांग्रेस की मुहर लगवायी थी। मगर अमरनाथ की प्रेमिका की फ़रमाइश थी, उसको पूरा करना जरुरी था। पूरा पढ़ें...
कहानी – अलग्योझा
भोला महतो ने पहली स्त्री के मर जाने बाद दूसरी सगाई की, तो उसके लड़के रग्घू के लिए बुरे दिन आ गए। रग्घू की उम्र उस समय केवल दस वर्ष की थी। चैन से गॉँव में गुल्ली-डंडा खेलता फिरता था। पूरा पढ़ें...
कहानी – अमृत
मेरी उठती जवानी थी जब मेरा दिल दर्द के मजे से परिचित हुआ। कुछ दिनों तक शायरी का अभ्यास करता रहा और धीर-धीरे इस शौक ने तल्लीनता का रुप ले लिया। पूरा पढ़ें...
कहानी – अपनी करनी
आह, अभागा मैं! मेरे कर्मो के फल ने आज यह दिन दिखाये कि अपमान भी मेरे ऊपर हंसता है। और यह सब मैंने अपने हाथों किया। शैतान के सिर इलजाम क्यों दूं, किस्मत को खरी-खोटी क्यों सुनाऊँ, होनी का क्यों रोऊं? पूरा पढ़ें...
कहानी – अनाथ लड़की
सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। सेठ जी रुक गये और मुहब्बत से उसकी तरफ देखकर पूछा—क्या नाम है? पूरा पढ़ें...
कहानी – अंधेर
नागपंचमी आई। साठे के जिन्दादिल नौजवानों ने रंग-बिरंगे जॉँघिये बनवाये। अखाड़े में ढोल की मर्दाना सदायें गूँजने लगीं। आसपास के पहलवान इकट्ठे हुए और अखाड़े पर तम्बोलियों ने अपनी दुकानें सजायीं क्योंकि आज कुश्ती और दोस्ताना मुकाबले का दिन है। पूरा पढ़ें...
कहानी – दो बहनें
दोनों बहनें दो साल के बाद एक तीसरे नातेदार के घर मिलीं और खूब रो-धोकर खुश हुईं तो बड़ी बहन रूपकुमारी ने देखा कि छोटी बहन रामदुलारी सिर से पाँव तक गहनों से लदी हुई है, कुछ उसका रंग खुल गया है पूरा पढ़ें...
कहानी – मनुष्य का जीवन आधार क्या है
माधो नामी एक चमार जिसके न घर था, न धरती, अपनी स्त्री और बच्चों सहित एक झोंपड़े में रहकर मेहनत मजदूरी द्वारा पेट पालता था। मजूरी कम थी, अन्न महंगा था। पूरा पढ़ें...
कहानी – प्रेम में परमेश्वर
बुढ़िया टोकरा उठाकर चलने लगी कि उसी बालक ने आकर विनय की कि माई, यह टोकरा तुम्हारे घर तक मैं पहुंचा आता हूं। पूरा पढ़ें...
कहानी – ध्रुवनिवासी रीछ का शिकार
एक मास पीछे हम फिर उस रीछ को मारने के लिए गये, मैं फिर भी उसे न मार सका उसे दुगार ने मारा, वह बड़ा भारी रीछ था। उसकी खाल अब तक मेरे कमरे में बिछी हुई है। पूरा पढ़ें...