कहानी चार्ल्स शोभराज की, जिसे लोग बिकिनी किलर भी कहते हैं

अपराध और अपराधी कई तरह के होते हैं। कुछ को आप आसानी से पहचान सकते हैं तो कुछ को आप शायद कभी नही पहचान सकते। कारण यह कि वो करता तो अपराध है लेकिन अपराधी दिखता नहीं है और लोग यहीं मात खा जाते हैं। जो कुछ भी हो जाए एक अपराधी अपने अपराध को कभी जस्टिफाय नहीं कर सकता कि उसने जो किया है वह सही किया है। लेकिन इन सभी के बीच एक ऐसा भी अपराधी था जिसे लगता था कि वो जो कुछ भी किया है वो अपराध नहीं है। जी हाँ, आज बात करेंगे चार्ल्स शोभराज की जिसे दुनिया बिकिनी किलर के नाम से भी जानती है।

जन्म और प्रारंभिक जीवन – Early Life of Charles Shobhraj

6 अप्रैल 1944 को वियतनाम की राजधानी हो-ची-मिन्ह सिटी में जन्में चार्ल्स शोभराज की माँ वियतनाम में ही एक दूकान चलाती थी। उनका नाम ट्रांग लोआंग फून था। चार्ल्स के पिताजी का नाम शोभराज हातचंद भवनानी था। वो भारतीय सिंधी व्यापारी थे जो उस वक्त वियतनाम बिजनेस के सिलसिले में गए हुए थे। वहीं पर दोनों की मुलाक़ात हुई और वो लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगे। उन्हीं के संतान हुए चार्ल्स शोभराज। हांलाकि चार्ल्स के माँ-बाप ने कभी शादी नहीं की। कुछ दिनों के बाद ही चार्ल्स के फादर ने उन सब को छोड़ दिया और फिर चार्ल्स अपने माँ के पास रहने लगता है।

कुछ सालों के बाद चार्ल्स की माँ का अफेयर एक फ्रेंच आर्मी के साथ हो जाता है और वो उनसे शादी कर लेती है। फिर पूरा परिवार फ्रांस में ही रहने लगता है। फ्रांस में रहने के दौरान ही चार्ल्स को वहां का पासपोर्ट भी मिल जाता है। फिर उनकी माँ को उनके फ्रेंच हसबैंड से और बच्चे होते हैं तब चार्ल्स को लगता है कि फैमिली में उनकी इम्पोर्टेंस कम हो रही है और इसी खुन्नस में वो घर छोड़ देता है।

क्राइम की दुनिया में एंट्री और जुर्म की शुरुआत – When Charles Shobhraj enter into the world of crime

परिवार से दूर होते ही चार्ल्स की जुर्म के दुनिया में दखल बढ़ने लगी। अब वो छोटे-मोटे क्राइम जैसे कि बाइक या कार चुराना शुरू कर दिया था। पहली बार जब उसको साल 1963 में जेल हुई तब वो सिर्फ 19 साल का था और उसपर चोरी का इल्जाम लगा था। उसे पेरिस के एक जेल में बाद करके रखा गया था। फिर कुछ दिनों के बाद उसे छोड़ दिया गया। उसने अपने पर्सनैलिटी को इस तरह से डेवेलप किया हुआ था कि सामने वाले को मैनिपुलेट करने में उसको ज़रा सा भी वक्त नहीं लगता था। उसी जेल में उसने वहां के एक वोलेंटियर फेलिक्स एस्कॉन को पटाया। फेलिक्स काफी आमिर था, सो चार्ल्स जेल से बाहर आने के बाद उसके साथ पेरिस के हाई सोसायटी में जाने लगा और वहां के क्रिमिनल अंडरवर्ल्ड से जुड़ने लगा। चार्ल्स उन सभी को ड्रग सप्लाई करता था।

तिहार जेल से अपनी सुनवाई के लिए जाते चार्ल्स शोभराज .

उसी दौरान चार्ल्स एक पारसी लड़की सेंटाल कोम्पैग्नोन से मिला और उसको डेट करने लगा। वो दोनों शादी करने वाले थे लेकिन चार्ल्स को पुलिस ने शादी वाले दिन ही गिरफ्तार कर लिया। कारण यह कि वो जिस कार को ड्राइव कर रहा था वो चोरी का था। फिर भी सेंटाल चार्ल्स से अपना रिश्ता बनाये राखी और वो उनको मिलने के लिए जेल में आती रही। आठ महीने के बाद जब चार्ल्स जेल से छूटा तब उन दोनों की शादी हुई।

इतना सब कुछ हो रहा था और इसी दौरान चार्ल्स का क्राइम ग्राफ भी लगातार बढ़ता जा रहा था। सेंटाल उनको कई बार मना करती मगर उसके मुंह में तो खून लग चूका था। साल 1970 में वो वापस गिरफ्तारी के डर से चेंटोल को लेकर एशियाई देशों में रहने लगा। ईस्टर्न यूरोप के कुछ देशों से होते हुए वो उसी साल मुंबई पहुंचा। मुंबई में ही सेंटाल ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम रखा – उषा। भारत में आने के बाद वह एक ‘फ्रेंच सोसाइटी’ से जुड़ गया।

चार्ल्स एक ऐसा व्यक्ति था, जो आसानी से किसी भी साथ मेलजोल बना लेता था। उसने यहां के अमीर लोगों में अपनी पहचान बना ली। सेंटाल तो एक सुन्दर और आकर्षक दिखने वाली महिला थी ही। उसके साथ एक प्यारा बच्चा भी था। इसके कारण लोगों ने उनका चाय और पार्टी देकर स्वागत किया।अब चार्ल्स अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और अब वो ड्रग के बिजनेस से गैंबलिंग में आ गया। और फिर धीरे-धीरे वो छोटे-छोटे हथियार को भी चुराकर बेचने लगा।

साल 1973 में वो दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित होटल अशोका में रुका हुआ था। उसने दिल्ली के होटल अशोका के ऊपर की छत तोड़ कर चोरी की। उसने मालिक के कनपटी पर बंदूक रख कर तिजोरी से सारे पैसे और आभूषणों को बैग में भरा और चंपत हो गया। वह दिल्ली हवाई अड्डे पर मुंबई जाने की लिए पहुंचा, लेकिन वहां कस्टम अधिकारियों की जांच के दौरान उन्हें कुछ संदिग्ध लगा। इसलिए उन्होंने बैग से भरा लूट का सारा माल जब्त कर लिया। चार्ल्स पकड़े जाने के डर से भाग निकला। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया और उसे जेल भेज दिया गया। चार्ल्स को जब दिल्ली के जेल में डाला तो चार्ल्स यहां से भागने का प्लान पहले ही बना चुका था। जैसे ही वह जेल पहुंचा तो पेट में तेज दर्द का बहाना किया। पुलिस ने उसे यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया। जहाँ से वह लोगों को चकमा देकर भाग निकला।

काठमांडू से जेल से सुनवाई के लिए जाते चार्ल्स शोभराज।

वहाँ से भागने के तुरंत बाद वो अफगानिस्तान भाग गया। वहाँ भी चार्ल्स टूरिस्टों को लूटने का काम करता था। लुटते समय वह इस बात का खासा ख्याल रखता था कि कैसे भी उसे ट्रेवल डॉक्युमेंट्स जैसे पासपोर्ट और वीजा मिल जाए ताकि उसे कहीं भी जाने में प्रॉब्लम ना हो। अब चार्ल्स लोगों को लुटते समय बेहोश करना शुरू कर दिया जिसके लिए वो ड्रग का इस्तेमाल करता था। ऐसा ही एक वाकिया जब काबुल में हुआ तब वह अपने पत्नी और बच्चे को छोड़कर ईरान भाग गया। चेंटोल वापस फ्रांस चली गयी और लौटकर कभी नहीं आयी।

बेहिसाब मर्डर और बिकिनी किलर का टैग – Tag of Bikini Killer for Charles Shobhraj

चार्ल्स शोभराज ने अपने आप को इस तरह से डेवेलोप किया था कि सामने वाला उससे बात करने में भी घबराता था। उसका फिजिकल अपीयरेंस हो या फिर बोलने का तरीका। हर चीज मवन वो उस्ताद था। उसके पास एक और मारक हथियार था भाषा के रूप में। वो एक साथ कई भाषा बोल सकता था। मसलन इंग्लिश, फ्रेंच, वियतनामी, हिंदी और थाई। वह शब्दों का इतना जाहीं इस्तेमाल करता था कि सामने वाले बस देखते ही रह जाते थे। वो इसका उपयोग अपने जेल के दिनों में खूब करता था। सिक्योरिटी गार्ड्स को वो इस तरह से मैनिपुलेट करता था कि उनको जेल के अंदर ही फाइव स्टार होटल वाली फैसिलिटी मिलने लगती थी वो भी बिना कोई रुपया-पैसा खर्च किये।

जब चार्ल्स शोभराज यह काम कर रहा था तब अखबारों में इस तरह की ख़बरें खूब छपती थी।

1970 के दशक में उसने विदेशी पर्यटकों को अपना निशाना बनाना शुरू किया। वह उनका मित्र बनकर उनके लिए नशीली दवाइयां देता, फिर उनकी हत्या कर देता था। एंड्री नाम की एक थाई लड़की को वह अपना दोस्त बनाया और साथ में मिलकर अब क्राइम करना शुरू किया। इस वक़्त वह थाईलैंड में था। साल 1975 में चार्ल्स द्वारा किया गया पहला मर्डर रिकॉर्ड हुआ जो एक लड़की का। पटाया के बीच पर एक लड़की मरी हुई पायी गयी जो बिकिनी पहनी थी और उसपर फूल बना हुआ था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आया कि उसे ड्रग का ओवरडोज दिया गया था। जिससे उसकी मौत हो गयी थी।

16 दिसंबर 1975 को पटाया के एक रिसोर्ट में दो और लाशें मिली। यह दोनों लाश भी बिकिनी पहने लड़की का था जिसके ऊपर फूल बना हुआ था। अब वहाँ का पुलिस प्रशासन यह समझ चूका था कि यह कोई सीरियल किलर है जो लड़कियों को ड्रग देकर मारता है। इसीलिए थाईलैंड पुलिस ने उसे नाम दिया – द बिकिनी किलर। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चार्ल्स ड्रग का इस्तेमाल लड़कियों को बेहोश करने के लिए क में वह वापस रता था। लेकिन उसे यह पता नहीं चल पता था कि कितना डोज दिया जाए। इसीलिए ओवरडोज के चक्कर में लड़कियों कि मौत हो जाती थी। 1972-1976 के बीच उसने 24 लोगों की हत्या की थी।

पकड़ाने के डर से फिर भागा

चार्ल्स को अब लग गया था कि यहाँ रहना अब मुश्किल है, क्योंकि पुलिस पता लगा ही लेगी। इसीलिए वो इस घटना के दो दिन बाद ही 18 दिसंबर को किसी दूसरे टूरिस्ट का पासपोर्ट चुराकर थाईलैंड से नेपाल चला गया। एंड्री भी उसके साथ ही थी। नेपाल आने के तीसरे दिन ही उसने दो महिला टूरिस्टों को मारा। एक थी कनाडा की और दूसरी थी अमेरिका की। जब वहाँ पुलिस ने कार्यवाही तेज किया तो चार्ल्स के पुराने फ्रेंच साथियों ने पुलिस को इन्फॉर्मेशन दे दिया और वो सब फ्रांस भाग गए।

चार्ल्स शोभराज एक सेलेब्रेटी प्रिजनर (कैदी) बन चुके थे, जिनके साथ सब फोटो खिंचवाना चाहते थे।

इसके बाद वो वापस इंडिया आया और इजरायल की एक स्कॉलर से उसका पासपोर्ट लेने के चक्कर में उसका मर्डर कर दिया। इसके बाद मार्च 1976  में वह वापस थाईलैंड गया। यह जानते हुए कि पुलिस उससे पूछताछ करेगी। पुलिस ने पकड़ा और पूछताछ भी किया लेकिन मामले को गुप्त ही रखा गया और उसे जाने दिया। इसके पीछे का मोटो यह था कि थाईलैंड का टूरिज्म इंडस्ट्री अफेक्टेड ना हो।

भारत वापसी और जेल की सजा

जुलाई 1976 में चार्ल्स वापस इंडिया लौटा। यहाँ वह दिल्ली में फ्रेंच स्टूडेंट्स के एक ग्रुप का टूर गाइड बन गया और दस्त की गोली बोलकर ड्रग दे दिया। सब स्टूडेंट्स बेहोश हो गए। एक-दो जो थोड़े होश में थे उसने जैसे-तैसे पुलिस को इन्फॉर्म किया और फिर पुलिस उसको तिहाड़ भेज दिया। उसपर ट्रायल चला और फिर इजरायली टूरिस्ट के मर्डर के आरोप में उसे 12 साल कैद की सजा मिली।

17 फरवरी 1997 को चार्ल्स शोभराज को भारत सरकार ने रिहा कर दिया और उसे वापस ग्रेन्स भेज दिया।  फ्रांस में उसका स्वागत एक सेलेब्रेटी के जैसा हुआ। वह इंटरव्यूज देने और अपने ऊपर बुक लिखने वालों से मोटी रकम लेना शुरू कर दिया। और पत्रकार देते भी थे। एक रिपोर्ट की माने तो एक प्रोड्यूसर से उसने अपने लाइफ पर फिल्म बनाने के लिए 15 मिलियन डीलर की मांग राखी थी। यह रकम रूपये में लगभग 110 करोड़ की हो जाती है।

नेपाल में गिरफ्तारी

17 सितम्बर 2003 को चार्ल्स शोभराज एक जर्नलिस्ट को काठमांडू की सड़कों पर दिखता है। वह जर्नलिस्ट पुलिस को इन्फॉर्म कर देता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है। नेपाल का सुप्रीम कोर्ट उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाती है।  नेपाल में सजा काटने के दौरान 2008 में चार्ल्स ने बहुत ही छोटी आयु की एक नेपाली लड़की निहिता बिस्वास के साथ जेल में ही शादी कर ली। निहिता और उसके परिजन चार्ल्स के साथ उसके संबंध को अपनी रजामंदी दे चुके हैं।

चार्ल्स शोभराज पर जो फिल्म बनी थी उसमें रणदीप हुड्डा (बाएं) ने उसका किरदार निभाया था।

एक कुख्यात अपराधी होने के बावजूद चार्ल्स को जो लोकप्रियता हासिल हुई वह अपने आप में बहुत बड़ी है। अपराधों और हत्याओं जैसी वारदातों को अंजाम देते हुए चार्ल्स ने जिन तकनीकों और रणनीति का प्रयोग किया वह अपने आप में हैरानी पैदा करने वाली भी है। जब वह आजाद होता था तो पूरी दुनिया की पुलिस उसके पीछे रहती थी और जब वो कैद में है तब भी जेल के बाहर पुलिसवालों की नींद हराम रहती है। जरा सोचिए, कोई शख्स एक साल में लाखों डॉलर कमा ले और उसकी जिंदगी इस संतोष के साथ जेल में बीते कि एक दिन वह जेल से छूटेगा और फिर अपनी पुरानी जिंदगी में वापस लौट आएगा। वह किस तरह का इंसान होगा।

वर्तमान परिस्थिति – Present situation of Charles Shobhraj

चार्ल्स शोभराज अभी काठमांडू के जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे ओपन हार्ट सर्जरी हो चूका है और अभी फिर से उसे एक ऑपरेशन करवाना है। जेल के अंदर कुछ दिनों पहले तक वो अपना खाना खुद बनाता था। उसकी अब ये शिकायत है कि उसे जेल के अस्पताल में खाना नहीं बनाने दिया जा रहा। कुछ दिन पहले उसने नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में डाइट अलाउंस को लेकर अर्ज़ी भी डाली थी। लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में चार्ल्स शोभराज ये भी बताया है कि सर्जरी में बचा तो वो दोबार जल्द छूटने की अर्ज़ी लगाएगा। 75 साल की उम्र में उसके पास पैरिस जाकर रहने का पूरा प्लान तैयार है।

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