वर्ण विचार
वर्ण विचार हिंदी व्याकरण का पहला खंड है, जिसमें भाषा की मूल इकाई ध्वनि तथा वर्ण पर विचार किया जाता है। इसके अंतर्गत हिंदी के मूल अक्षरों की परिभाषा, भेद-उपभेद, उच्चारण, संयोग, वर्णमाला इत्यादि संबंधी नियमों का वर्णन किया जाता है।
वर्ण
हिन्दी भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी इकाई वर्ण कहलाती है। जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क्, ख् आदि। वर्णों के समुदाय को ही वर्णमाला कहते हैं।
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है। देवनागरी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं, जिनमें से 11 स्वर , 33 व्यंजन , एक अनुस्वार (अं) और एक विसर्ग (अ:) सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त हिंदी वर्णमाला में दो द्विगुण व्यंजन (ड़ और ढ़) तथा चार संयुक्त व्यंजन(क्ष,त्र,ज्ञ,श्र) होते हैं।
वर्णों के दो मुख्य भेद हैं – (1) स्वर और (2) व्यंजन
स्वर
उन वर्णों को कहते हैं, जिनका उच्चारण स्वतंत्रता से होता है और जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक होते हैं। हिन्दी भाषा में कुल ग्यारह स्वर हैं। ये ग्यारह स्वर हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वर के दो भेद है –
१ – मूल स्वर
जो स्वर दूसरे स्वरों के मेल से ना बने हों , उन्हें मूल स्वर कहते हैं । ये चार हैं –
- लघु– अ,इ,उ
- हृस्व– ऋ
२ – संधि स्वर
जिन स्वरों की उत्पत्ति दूसरे स्वरों के योग से हुई है , वे सन्धि-स्वर कहलाते हैं । हिन्दी वर्णमाला मे इसकी संख्या सात है –
- दीर्घ स्वर – दो समान मूल स्वर के मिलने से जो स्वर बनता हैं ; जैसे – अ+अ=आ,इ+इ=ई,उ+उ=ऊ
- संयुक्त स्वर– दो भिन्न स्वरों के मिलने से जो स्वर बनता हैं ; जैसे – अ+इ=ए,अ+ए=ऐ,अ+उ=ओ,अ+ओ=औ
‘अं’ और ‘अः’ को स्वर में नहीं गिना जाता है। इन्हें अयोगवाह( न तो स्वर से योग , न व्यंजनों से ) ध्वनियाँ कहते हैं।
व्यंजन
वे वर्ण हैं, जिनके उच्चारण में स्वरों की सहायता आवश्यक होती है। स्वरों की सहायता लिये बिना व्यंजनों का उच्चारण सम्भव नही है।
व्यंजन को पांच वर्गों में बांटा गया है –
- ‘क’वर्ग-क,ख,ग,घ,ड़ (कण्ठ से बोले जाने वाले)
- ‘च’वर्ग-च,छ,ज,झ,ञ (तालु से बोले जाने वाले)
- ‘ट’वर्ग-ट,ठ,ड,ढ,ण (मूर्धा से बोले जाने वाले)
- ‘त’वर्ग-त,थ,द,ध,न (दंत्त से बोले जाने वाले)
- ‘प’वर्ग-प,फ,ब,भ,म (होठ से बोले जाने वाले)
इन व्यंजनों का शुद्ध रूप क् ख् ग् आदि हैं पर इस रूप मे इनका उच्चारण सम्भव नही है । अतएव , उच्चारण की सुगमता के लिये इनमे ‘अ’ की ध्वनि मिश्रित कर दी गयी हैं ; यथा – क्+अ=क । प्+अ=प आदि ।
वर्णों के उच्चारण स्थानों और नामों की तालिका
वर्ण | उच्चारण स्थान | नाम |
अ , आ , कवर्ग , ह और ः ( विसर्ग ) | कण्ठ | कण्ठ्य |
इ , ई , चवर्ग , य और श | तालु | तालव्य |
ऋ , ॠ , टवर्ग , र और ष | मूर्द्धा ( तालु का ऊपरी भाग ) | मूर्द्धन्य ( तालु का ऊपरी भाग ) |
ऌ , ॡ , तवर्ग , ल और स | दन्त | दन्त्य |
उ, ऊ और पवर्ग | ओष्ठ ( ओठ ) | ओष्ठ्य |
ङ , ञ , ण , न , म और ं ( अनुस्वार ) | नासिका ( नाक ) | अनुनासिक |
ए , ऐ | कण्ठ + तालु | कण्ठ-तालव्य |
ओ , औ | कण्ठ + ओष्ठ | कण्ठोष्ठ्य |
व | दन्त + ओष्ठ | दन्तोष्ठ्य |