स्‍वामिनी – प्रेमचंद की कहानी

शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्‍यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी ऑंखों में ऑंसू भरकर कहा—बहू, आज से गिरस्‍ती की देखभाल तुम्‍हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान् से नहीं देखा गया, पूरा पढ़ें...

स्‍वामिनी – प्रेमचंद की कहानी

सैलानी बंदर – प्रेमचंद की कहानी

जीवनदास नाम का एक गरीब मदारी अपने बन्दर मन्नू को नचाकर अपनी जीविका चलाया करता था। वह और उसकी स्त्री बुधिया दोनों मन्नू को बहुत प्यार करते थे। उनके कोई सन्तान न थी, पूरा पढ़ें...

सैलानी बंदर – प्रेमचंद की कहानी

समस्या – प्रेमचंद की कहानी

मेरे दफ्तर में चार चपरासी हैं। उनमें एक का नाम गरीब है। वह बहुत ही सीधा, बड़ा आज्ञाकारी, अपने काम में चौकस रहने वाला, घुड़कियाँ खाकर चुप रह जानेवाला यथा नाम तथा गुण वाला मनुष्य है। पूरा पढ़ें...

समस्या – प्रेमचंद की कहानी

समर यात्रा – प्रेमचंद की कहानी

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समर यात्रा – प्रेमचंद की कहानी

स्वांग – प्रेमचंद की कहानी

राजपूत खानदान में पैदा हो जाने ही से कोई सूरमा नहीं हो जाता और न नाम के पीछे ‘सिंह’ की दुम लगा देने ही से बहादुरी आती है। गजेन्द्र सिंह के पुरखे किस जमाने में राजपूत थे इसमें सन्देह की गुंजाइश नहीं। पूरा पढ़ें...

स्वांग – प्रेमचंद की कहानी

स्त्री और पुरुष – प्रेमचंद की कहानी

विपिन बाबू के लिए स्त्री ही संसार की सुन्दर वस्तु थी। वह कवि थे और उनकी कविता के लिए स्त्रियों के रुप और यौवन की प्रशसा ही सबसे चिंताकर्षक विषय था। पूरा पढ़ें...

स्त्री और पुरुष – प्रेमचंद की कहानी

शोक का पुरस्कार – प्रेमचंद की कहानी

आज तीन दिन गुजर गये। शाम का वक्त था। मैं यूनिवर्सिटी हाल से खुश-खुश चला आ रहा था। मेरे सैंकड़ों दोस्त मुझे बधाइयॉँ दे रहे थे। मारे खुशी के मेरी बॉँछें खिली जाती थीं। पूरा पढ़ें...

शोक का पुरस्कार – प्रेमचंद की कहानी

शादी की वजह – प्रेमचंद की कहानी

यह सवाल टेढ़ा है कि लोग शादी क्यो करते है? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की जरूरत होती है लेकिन मौजूदा हालत मे आम तौर पर शादी की यह सच्ची वजह नही होती बल्कि शादी सभ्य जीवन की एक रस्म-सी हो गई है। पूरा पढ़ें...

शादी की वजह – प्रेमचंद की कहानी

शांति – प्रेमचंद की कहानी

स्‍वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्‍न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियां आंखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा रो लेता हूं। हमारे देर रो लेता हूं। पूरा पढ़ें...

शांति – प्रेमचंद की कहानी

शूद्र – प्रेमचंद की कहानी

मां और बेटी एक झोंपड़ी में गांव के उसे सिरे पर रहती थीं। बेटी बाग से पत्तियां बटोर लाती, मां भाड़-झोंकती। यही उनकी जीविका थी। सेर-दो सेर अनाज मिल जाता था, खाकर पड़ रहती थीं। पूरा पढ़ें...

शूद्र – प्रेमचंद की कहानी