जाह्नवी – जैनेन्द्र कुमार की कहानी

आज तीसरा रोज़ है। तीसरा नहीं, चौथा रोज़ है। वह इतवार की छुट्टी का दिन था। सबेरे उठा और कमरे से बाहर की ओर झांका तो देखता हूं, मुहल्ले के एक मकान की छत पर कांओं-कांओं करते हुए कौओं से घिरी हुई एक लड़की खड़ी है। पूरा पढ़ें...

जाह्नवी – जैनेन्द्र कुमार की कहानी

तत्सत् – जैनेन्द्र कुमार की कहानी

एक गहन वन में दो शिकारी पहुँचे। वे पुराने शिकारी थे। शिकार की टोह में दूर-दूर घूम रहे थे, लेकिन ऐसा घना जंगल उन्हें नहीं मिला था। देखते ही जी में दहशत होती थी। वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया और आपस में बातें करने लगे। पूरा पढ़ें...

तत्सत् – जैनेन्द्र कुमार की कहानी