कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो – प्रेमचंद की कहानी

उन दिनों दूध की तकलीफ थी। कई डेरी फर्मों की आजमाइश की, अहारों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं। दो-चार दिन तो दूध अच्छा, मिलता फिर मिलावट शुरू हो जाती। पूरा पढ़ें...

कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो – प्रेमचंद की कहानी