Tag: Munshi Premchand
मंदिर और मस्जिद – प्रेमचंद की कहानी
चौधरी इतरतअली ‘कड़े' के बड़े जागीरदार थे। उनके बुजुर्गों ने शाही जमाने में अंग्रेजी सरकार की बड़ी-बड़ी खिदमतें की थीं। उनके बदले में यह जागीर मिली थी। पूरा पढ़ें...
मंत्र – प्रेमचंद की कहानी
संध्या का समय था। डाक्टर चड्ढा गोल्फ खेलने के लिए तैयार हो रहे थे। मोटर द्वार के सामने खड़ी थी कि दो कहार एक डोली लिये आते दिखायी दिये। डोली के पीछे एक बूढ़ा लाठी टेकता चला आता था। पूरा पढ़ें...
मैकू – प्रेमचंद की कहानी
कादिर और मैकू ताड़ीखाने के सामने पहूँचे; तो वहॉँ कॉँग्रेस के वालंटियर झंडा लिए खड़े नजर आये। दरवाजे के इधर-उधर हजारों दर्शक खड़े थे। शाम का वक्त था। पूरा पढ़ें...
बेटों वाली विधवा – प्रेमचंद की कहानी
पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्वाँरी थी। पूरा पढ़ें...
बाँका ज़मीदार – प्रेमचंद की कहानी
ठाकुर प्रद्युम्न सिंह एक प्रतिष्ठित वकील थे और अपने हौसले और हिम्मत के लिए सारे शहर में मश्हूर। उनके दोस्त अकसर कहा करते कि अदालत की इजलास में उनके मर्दाना कमाल ज्यादा साफ तरीके पर जाहिर हुआ करते हैं। पूरा पढ़ें...
बन्द दरवाज़ा – प्रेमचंद की कहानी
सूरज क्षितिज की गोद से निकला, बच्चा पालने से। वही स्निग्धता, वही लाली, वही खुमार, वही रोशनी।मैं बरामदे में बैठा था। बच्चे ने दरवाजे से झांका। मैंने मुस्कुराकर पुकारा। वह मेरी गोद में आकर बैठ गया। पूरा पढ़ें...
बड़े भाई साहब – प्रेमचंद की कहानी
मेरे भाई साहब मुझसे पॉँच साल बडे थे, लेकिन तीन दरजे आगे। उन्होने भी उसी उम्र में पढना शुरू किया था जब मैने शुरू किया; लेकिन तालीम जैसे महत्व के मामले में वह जल्दीबाजी से काम लेना पसंद न करते थे। पूरा पढ़ें...
बड़े बाबू – प्रेमचंद की कहानी
तीन सौ पैंसठ दिन, कई घण्टे और कई मिनट की लगातार और अनथक दौड़-धूप के बाद मैं आखिर अपनी मंजिल पर धड़ से पहुँच गया। बड़े बाबू के दर्शन हो गए। पूरा पढ़ें...
परीक्षा – प्रेमचंद की कहानी
दिल्ली उन दिनों भोग-विलास की केंद्र बनी हुई थी। सजावट और तकल्लुफ के सामानों से रईसों के भवन भरे रहते थे। स्त्रियों को बनाव-सिगांर के सिवा कोई काम न था। पूरा पढ़ें...
प्रेम-सूत्र – प्रेमचंद की कहानी
संसार में कुछ ऐसे मनुष्य भी होते हैं जिन्हें दूसरों के मुख से अपनी स्त्री की सौंदर्य-प्रशंसा सुनकर उतना ही आनन्द होता है जितनी अपनी कीर्ति की चर्चा सुनकर। पूरा पढ़ें...