Tag: premchand ki kahani devi-2
देवी – प्रेमचंद की कहानी
बूढ़ों में जो एक तरह की बच्चों की-सी बेशर्मी आ जाती है वह इस वक्त भी तुलिया में न आई थी, यद्यपि उसके सिर के बाल चांदी हो गये थे। और गाल लटक कर दाढ़ों के नीचे आ गये थे। पूरा पढ़ें...
बूढ़ों में जो एक तरह की बच्चों की-सी बेशर्मी आ जाती है वह इस वक्त भी तुलिया में न आई थी, यद्यपि उसके सिर के बाल चांदी हो गये थे। और गाल लटक कर दाढ़ों के नीचे आ गये थे। पूरा पढ़ें...