ख़ुदी – प्रेमचंद की कहानी

मुन्नी जिस वक्त दिलदारनगर में आयी, उसकी उम्र पांच साल से ज्यादा न थी। वह बिलकुल अकेली न थी, माँ-बाप दोनों न मालूम मर गये या कहीं परदेस चले गये थे। पूरा पढ़ें...

ख़ुदी – प्रेमचंद की कहानी

कहानी – अपनी करनी

आह, अभागा मैं! मेरे कर्मो के फल ने आज यह दिन दिखाये कि अपमान भी मेरे ऊपर हंसता है। और यह सब मैंने अपने हाथों किया। शैतान के सिर इलजाम क्यों दूं, किस्मत को खरी-खोटी क्यों सुनाऊँ, होनी का क्यों रोऊं? पूरा पढ़ें...

कहानी – अपनी करनी

कहानी – अंधेर

नागपंचमी आई। साठे के जिन्दादिल नौजवानों ने रंग-बिरंगे जॉँघिये बनवाये। अखाड़े में ढोल की मर्दाना सदायें गूँजने लगीं। आसपास के पहलवान इकट्ठे हुए और अखाड़े पर तम्बोलियों ने अपनी दुकानें सजायीं क्योंकि आज कुश्ती और दोस्ताना मुकाबले का दिन है। पूरा पढ़ें...

कहानी – अंधेर