Category: कहानियाँ
कहानी पढ़ना जीवन में किये गए सबसे उत्तम कामों में से एक होता है और बेजोड़ जोड़ा आपको यह काम करवाने में मदद कर रहा है. पुण्य तो मिलनी ही चाहिए.
पुत्र-प्रेम – प्रेमचंद की कहानी
बाबू चैतन्यदास ने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था, और केवल पढ़ा ही नहीं था, उसका यथायोग्य व्यवहार भी वे करते थे। वे वकील थे, दो-तीन गांवों में उनकी जमींदारी भी थी, पूरा पढ़ें...
पत्नी से पति – प्रेमचंद की कहानी
मिस्टर सेठ को सभी हिन्दुसतानी चीजों से नफरत थी ओर उनकी सुन्दरी पत्नी गोदावरी को सभी विदेशी चीजों से चिढ़ ! मगर धैर्य ओर विनय भारत की देवियों का आभूषण है पूरा पढ़ें...
पंच परमेश्वर – प्रेमचंद की कहानी
जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, पूरा पढ़ें...
निर्वासन – प्रेमचंद की कहानी
रशुराम—पहले यह बताओं तुम इतने दिनों से कहां रहीं, किसके साथ रहीं, किस तरह रहीं और फिर यहां किसके साथ आयीं? तब, तब विचार...देखी जाएगी। पूरा पढ़ें...
नादान दोस्त – प्रेमचंद की कहानी
केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अण्डे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़ियों को वहां आते-जाते देखा करते । पूरा पढ़ें...
नागपूजा – प्रेमचंद की कहानी
प्रातःकाल था। आषाढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे ऐसे निखर गये थे जैसे साबुन से मैले कपड़े निखर जाते हैं। पूरा पढ़ें...
नसीहतों का दफ्तर – प्रेमचंद की कहानी
बाबू अक्षयकुमार पटना के एक वकील थे और बड़े वकीलों में समझे जाते थे। यानी रायबहादुरी के करीब पहुँच चुके थे। जैसा कि अकसर बड़े आदमियों के बारे में मशहूर है, इन बाबू साब का लड़कपन भी बहुत गरीबी में बीता था। पूरा पढ़ें...
नशा – प्रेमचंद की कहानी
ईश्वरी एक बडे जमींदार का लड़का था और मैं गरीब क्लर्क था, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती रहती थीं। पूरा पढ़ें...
नैराश्य लीला – प्रेमचंद की कहानी
पंडित हृदयनाथ अयोध्याय के एक सम्मानित पुरुष थे। धनवान् तो नहीं लेकिन खाने-पीने से खुश थे। कई मकान थे, उन्हीं के किराये पर गुजर होता था। पूरा पढ़ें...
नैराश्य – प्रेमचंद की कहानी
बाज आदमी अपनी स्त्री से इसलिए नाराज रहते हैं कि उसके लड़कियां ही क्यों होती हैं, लड़के क्यों नहीं होते। जानते हैं कि इनमें स्त्री को दोष नहीं है, पूरा पढ़ें...