Category: कहानियाँ
कहानी पढ़ना जीवन में किये गए सबसे उत्तम कामों में से एक होता है और बेजोड़ जोड़ा आपको यह काम करवाने में मदद कर रहा है. पुण्य तो मिलनी ही चाहिए.
नरक का मार्ग – प्रेमचंद की कहानी
रात “भक्तमाल” पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद आ गयी। कैसे-कैसे महात्मा थे जिनके लिए भगवत्-प्रेम ही सब कुछ था, इसी में मग्न रहते थे। ऐसी भक्ति बड़ी तपस्या से मिलती है। पूरा पढ़ें...
नब़ी का नीति-निर्वाह चंद – प्रेमचंद की कहानी
हजरत मुहम्मद को इलहाम हुए थोड़े ही दिन हुए थे, दस-पांच पड़ोसियों और निकट सम्बन्धियों के सिवा अभी और कोई उनके दीन पर ईमान न लाया था। पूरा पढ़ें...
नेकी – प्रेमचंद की कहानी
सावन का महीना था। रेवती रानी ने पांव में मेहंदी रचायी, मांग-चोटी संवारी और तब अपनी बूढ़ी सास ने जाकर बोली—अम्मां जी, आज भी मेला देखने जाऊँगी। पूरा पढ़ें...
धिक्कार-2 – प्रेमचंद की कहानी
अनाथ और विधवा मानी के लिये जीवन में अब रोने के सिवा दूसरा अवलंब न था। वह पाँच वर्ष की थी, जब पिता का देहांत हो गया। माता ने किसी तरह उसका पालन किया। पूरा पढ़ें...
धिक्कार-1 – प्रेमचंद की कहानी
ईरान और यूनान में घोर संग्राम हो रहा था। ईरानी दिन-दिन बढ़ते जाते थे और यूनान के लिए संकट का सामना था। देश के सारे व्यवसाय बंद हो गये थे, हल की मुठिया पर हाथ रखने वाले किसान तलवार की मुठिया पकड़ने के लिए मजबूर हो गये, डंडी तौलने वाले भाले तौलते थे। पूरा पढ़ें...
दिल की रानी – प्रेमचंद की कहानी
जिस वीर तुर्कों के प्रखर प्रताप से ईसाई दुनिया कौप रही थी , उन्हीं का रक्त आज कुस्तुनतुनिया की गलियों में बह रहा है। पूरा पढ़ें...
दूसरी शादी – प्रेमचंद की कहानी
जब मैं अपने चार साल के लड़के रामसरूप को गौर से देखता हूं तो ऐसा मालूम हेाता हे कि उसमें वह भोलापन और आकर्षण नहीं रहा जो कि दो साल पहले था। पूरा पढ़ें...
देवी – प्रेमचंद की कहानी
बूढ़ों में जो एक तरह की बच्चों की-सी बेशर्मी आ जाती है वह इस वक्त भी तुलिया में न आई थी, यद्यपि उसके सिर के बाल चांदी हो गये थे। और गाल लटक कर दाढ़ों के नीचे आ गये थे। पूरा पढ़ें...
देवी – प्रेमचंद की कहानी
रात भीग चुकी थी। मैं बरामदे में खड़ा था। सामने अमीनुद्दौला पार्क नींद में डूबा खड़ा था। सिर्फ़ एक औरत एक तकियादार बैंच पर बैठी हुई थी। पार्क के बाहर सड़क के किनारे एक फ़कीर खड़ा राहगीरों को दुआएं दे रहा था। पूरा पढ़ें...
दुर्गा का मन्दिरचंद – प्रेमचंद की कहानी
बाबू ब्रजनाथ कानून पढ़ने में मग्न थे, और उनके दोनों बच्चे लड़ाई करने में। श्यामा चिल्लाती, कि मुन्नू मेरी गुड़िया नहीं देता। मुन्नू रोता था कि श्यामा ने मेरी मिठाई खा ली। पूरा पढ़ें...