दण्ड – प्रेमचंद की कहानी

संध्या का समय था। कचहरी उठ गयी थी। अहलकार चपरासी जेबें खनखनाते घर जा रहे थे। मेहतर कूड़े टटोल रहा था कि शायद कहीं पैसे मिल जायें। कचहरी के बरामदों में सांडों ने वकीलों की जगह ले ली थी। पूरा पढ़ें...

दण्ड – प्रेमचंद की कहानी

तिरसूल – प्रेमचंद की कहानी

अंधेरी रात है, मूसलाधार पानी बरस रहा है। खिड़कियों पर पानीके थप्पड़ लग रहे हैं। कमरे की रोशनी खिड़की से बाहर जाती है तो पानी की बड़ी-बड़ी बूंदें तीरों की तरह नोकदार, लम्बी, मोटी, गिरती हुई नजर आ जाती हैं। पूरा पढ़ें...

तिरसूल – प्रेमचंद की कहानी

तांगेवाले की बड़ – प्रेमचंद की कहानी

लेखक को इलाहाबाद मे एक बार ताँगे मे लम्बा सफर करने का संयोग हुआ। तांगे वाले मियां जम्मन बड़े बातूनी थे। उनकी उम्र पचास के करीब थी, उनकी बड़ से रास्ता इस आसानी से तस हुआ कि कुछ मालूम ही न हुआ। पूरा पढ़ें...

तांगेवाले की बड़  – प्रेमचंद की कहानी

त्रिया चरित्र – प्रेमचंद की कहानी

सेठ लगनदास जी के जीवन की बगिया फलहीन थी। कोई ऐसा मानवीय, आध्यात्मिक या चिकित्सात्मक प्रयत्न न था जो उन्होंने न किया हो। पूरा पढ़ें...

त्रिया चरित्र – प्रेमचंद की कहानी

तेंतर – प्रेमचंद की कहानी

आखिर वही हुआ जिसकी आंशका थी; जिसकी चिंता में घर के सभी लोग और विषेशत: प्रसूता पड़ी हुई थी। तीनो पुत्रो के पश्चात् कन्या का जन्म हुआ। पूरा पढ़ें...

तेंतर – प्रेमचंद की कहानी

झाँकी – प्रेमचंद की कहानी

कई दिन से घर में कलह मचा हुआ था। मॉँ अलग मुँह फुलाए बैठी थीं, स्त्री अलग। घर की वायु में जैसे विष भरा हुआ था। रात को भोजन नहीं बना, दिन को मैंने स्टोव पर खिचड़ी डाली: पर खाया किसी ने नहीं। पूरा पढ़ें...

झाँकी – प्रेमचंद की कहानी

ठाकुर का कुआँ – प्रेमचंद की कहानी

जोखू ने लोटा मुंह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आई । गंगी से बोला-यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है पूरा पढ़ें...

ठाकुर का कुआँ – प्रेमचंद की कहानी

जुलूस – प्रेमचंद की कहानी

पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़ें, कुछ बालक झंडियां और झंडे लिये बंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो यह कोई तमाशा है पूरा पढ़ें...

जुलूस – प्रेमचंद की कहानी

इज्ज़त का ख़ून – प्रेमचंद की कहानी

मैंने कहानियों और इतिहासो मे तकदीर के उलट फेर की अजीबो- गरीब दास्ताने पढी हैं । शाह को भिखमंगा और भिखमंगें को शाह बनते देखा है तकदीर एक छिपा हुआ भेद हैं । पूरा पढ़ें...

इज्ज़त का ख़ून – प्रेमचंद की कहानी

ईश्वरीय न्याय – प्रेमचंद की कहानी

कानपुर जिले में पंडित भृगुदत्त नामक एक बड़े जमींदार थे। मुंशी सत्यनारायण उनके कारिंदा थे। वह बड़े स्वामिभक्त और सच्चरित्र मनुष्य थे। पूरा पढ़ें...

ईश्वरीय न्याय – प्रेमचंद की कहानी