एक्ट्रेस – प्रेमचंद की कहानी

रंगमंच का परदा गिर गया। तारा देवी ने शकुंतला का पार्ट खेलकर दर्शकों को मुग्ध कर दिया था पूरा पढ़ें...

एक्ट्रेस – प्रेमचंद की कहानी

इस्तीफ़ा – प्रेमचंद की कहानी

दफ़्तर का बाबू एक बेज़बान जीव है। मजदूरों को ऑंखें दिखाओ, तो वह त्योरियॉँ बदल कर खड़ा हो जायकाह। कुली को एक डाँट बताओं, तो सिर से बोझ फेंक कर अपनी राह लेगा। पूरा पढ़ें...

इस्तीफ़ा  – प्रेमचंद की कहानी

उद्धार – प्रेमचंद की कहानी

हिंदू समाज की वैवाहिक प्रथा इतनी दुषित, इतनी चिंताजनक, इतनी भयंकर हो गयी है कि कुछ समझ में नहीं आता, उसका सुधार क्योंकर हो। पूरा पढ़ें...

उद्धार – प्रेमचंद की कहानी

कप्तान साहब – प्रेमचंद की कहानी

जगत सिंह को स्कूल जान कुनैन खाने या मछली का तेल पीने से कम अप्रिय न था। वह सैलानी, आवारा, घुमक्कड़ युवक थां कभी अमरूद के बागों की ओर निकल जाता और अमरूदों के साथ माली की गालियॉँ बड़े शौक से खाता। पूरा पढ़ें...

कप्तान साहब – प्रेमचंद की कहानी

क़ातिल – प्रेमचंद की कहानी

आधी रात थी। नदी का किनारा था। आकाश के तारे स्थिर थे और नदी में उनका प्रतिबिम्ब लहरों के साथ चंचल। एक स्वर्गीय संगीत की मनोहर और जीवनदायिनी, प्राण-पोषिणी घ्वनियॉँ इस निस्तब्ध और तमोमय दृश्य पर इस प्रकाश छा रही थी, जैसे हृदय पर आशाऍं छायी रहती हैं, पूरा पढ़ें...

क़ातिल – प्रेमचंद की कहानी

क्रिकेट मैच मचंद – प्रेमचंद की कहानी

आज क्रिकेट मैच में मुझे जितनी निराशा हुई मैं उसे व्यक्त नहीं कर हार सकता। हमारी टीम दुश्मनों से कहीं ज्यादा मजबूत था मगर हमें हार हुई और वे लोग जीत का डंका बजाते हुए ट्राफी उड़ा ले गये। क्यों? पूरा पढ़ें...

क्रिकेट मैच मचंद – प्रेमचंद की कहानी

कौशल – प्रेमचंद की कहानी

पंडित बलराम शास्त्री की धर्मपत्नी माया को बहुत दिनों से एक हार की लालसा थी और वह सैकडो ही बार पंडित जी से उसके लिए आग्रह कर चुकी थी, किन्तु पण्डित जी हीला- हवाला करते रहते थे। पूरा पढ़ें...

कौशल – प्रेमचंद की कहानी

कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो – प्रेमचंद की कहानी

उन दिनों दूध की तकलीफ थी। कई डेरी फर्मों की आजमाइश की, अहारों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं। दो-चार दिन तो दूध अच्छा, मिलता फिर मिलावट शुरू हो जाती। पूरा पढ़ें...

कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो – प्रेमचंद की कहानी

ख़ुदी – प्रेमचंद की कहानी

मुन्नी जिस वक्त दिलदारनगर में आयी, उसकी उम्र पांच साल से ज्यादा न थी। वह बिलकुल अकेली न थी, माँ-बाप दोनों न मालूम मर गये या कहीं परदेस चले गये थे। पूरा पढ़ें...

ख़ुदी – प्रेमचंद की कहानी

जेल – प्रेमचंद की कहानी

मृदुला मैजिस्ट्रेट के इजलास से जनाने जेल में वापस आयी, तो उसका मुख प्रसन्न था। बरी हो जोने की गुलाबी आशा उसके कपोलों पर चमक रही थी। पूरा पढ़ें...

जेल – प्रेमचंद की कहानी