फिल्म रिव्यू: रेस 3
माफ़ कीजिए, लेकिन ये रिव्यू पढ़ना आपके लिए बेहद ज़रूरी है. क्यों. . .आगे लिखा है.
सबसे पहले उस आदमी को पकड़ कर लाना बेहद ज़रूरी है जिसने ये कहा है कि पैसों से आप सबकुछ नहीं कर सकते. ब्रह्मांड के सबसे बड़ी झूठ बोलने के लिए उसे आजीवन सजा मिलनी चाहिए. क्या सजा मिलनी चाहिए मुझे नहीं मालूम. लेकिन आप पैसों के बल पर क्या क्या कर सकते है ये जानने के लिए आपको रेस 3 देखने जाने की ज़रूरत नहीं है, ये रिव्यू पढ़ लेना भर काफी रहेगा.
कहानी:
है ही नहीं, क्या बताएँ. .?? लेकिन फिर भी लिखना तो पड़ेगा सो लिख रहे है. एक परिवार है जिसमें बहुत सारी समस्या है. समस्या इतनी की परिवार इण्डिया छोड़कर क्राइम का बिजनेस करने किसी आईलैंड पर रहने चला जाता है. और वहां रहकर एक बहुत बड़े वेपन बिजनेस को ऑपरेट करता है. लेकिन पारिवारिक विरासत का जब बँटवारा होने का वक़्त आता है तो बाप, बेटा, भतीजा, भतीजी, चाचा, सगा, सहोदर सबको तकलीफ होने लगती है. ये क्यों होती है पता नहीं. मैंने देखकर भी इग्नोर किया है. आप भी ना देखें तो ही बेहतर. कम से कम दिमाग के नसों का संतुलन तो सही रहेगा.
मेकिंग
फिल्म किसकी. . . . .भाई की.
प्रोड्यूसर कौन. . . . . भाई की मम्मी (नाम के लिए).
डायरेक्टर कौन. . . . मेनस्ट्रीम फिल्म बनाने की चाहत रखने वाला.
एक्टर्स कौन. . . . . . भाई को ना नहीं बोलने की औकात रखने वाला.
भाई का पैसा. . . . . .कोई नहीं गिनने वाला.
ऊपर लिखे बातों से आपको समझ में आ ही गया होगा. चाहे दुबई हो या अबू-धाबी, थाईलैंड हो या लद्दाख सिर्फ लोकेशन का भरपूर ध्यान रखा गया है. लेकिन लोकेशन पर जाकर करना क्या है ये किसी को भी पता नहीं है. सिर्फ वैनिटी और कैमरा लेकर पहुँच गए है. स्क्रिप्ट वाली बुक मुंबई में ही रह गइ थी. गैलेक्सी अपार्टमेंट के किचन में. जो फिल्म रिलीज होने तक किसी को भी नहीं मिला. लेकिन फिल्म बनानी थी, सो बन गयी. क्या बनी, पता नहीं.
एक्टिंग
प्रेम से बोलिये सियावर राम चंद्र की. . . . . जय. किस्सा ख़तम हो गया. आपको समझ नहीं आया. बधाई हो, आप बिलकुल नार्मल है. तो भाई साहब बात ऐसी है कि एक्टिंग की ए भी नहीं है इसमें. चलिए सीक्वेंस में शुरू करते है.
सलमान खान - भाई की फ़िल्में देखने वाले उनके फैंस भी जानते है कि भाई की फिल्म वो क्यों देखते है.
अनिल कपूर - मुझे लगता है इस इंसान के साथ चीटिंग हुई है. इसको बोल के कुछ और लाया गया होगा और करवाया गया कुछ और.
बॉबी देओल, डेजी शाह, साकिब सलीम - काम नहीं है, पेट पालने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा. और ये साकिब मियाँ इतने कूल बनने की कोशिश किये है कि वो सच में ठंढा पर गए है. बहुत ज्यादा ठंढा. ओह्ह. . .
जैकलीन फर्नांडिस - भाई को ना बोल दे, ना बाबा ना. भाई तो वर्जिन भी है.
फिल्म में एक जगह अनिल कपूर डेजी शाह से बोलते है कि ना तो तुम अपनी भाषा सीख पायी और ना ही भाव. लेकिन अनिल बाबू, तुमहू नहीं ना सीख पाए.
गीत – संगीत
आज अरिजीत सिंह भगवान को उस दिन के लिए धन्यवाद दे रहा होगा जिस दिन सलमान खान से उसकी लड़ाई हुई थी. नहीं तो सेल्फिश. . . गाना उनके ही खाते में जाता. हाँलाकि आतिफ के साथ भी बुरा ही हुआ. फिल्म में कुल सात गाने है जिसे दस गीतकारों ने लिखा है और सात संगीतकारों ने अपनी धुन दिया है. और दिया क्या बर्बाद किया है. वो कहते है ना कि ज्यादा जोगी मठ को उजाड़ देता है. लेकिन हीरिये... लिखकर कुमार अपनी इज्जत बचा ले जाते है.
रेस एक ऐसी फिल्म सीरीज है जिसका एकमात्र सिकंदर रणवीर सिंह उर्फ़ रॉनी है. और रॉनी के किरदार में आप सैफ अली खान के अलावा किसी और की कल्पना भी नहीं कर सकते. और यहाँ तो फिल्म देखने की बात हो रही है.
अगर अतीत में किये किसी गुनाह के लिए अपने आप को कोई सजा देना चाहते हो तो ही ये 2:40 घंटे की फिल्म देखना, नहीं तो दस मिनट की ये रिव्यू पढ़कर किसी ज़रूरी काम में लग जाओ. लेकिन अब आप आ गए है तो हम आपको निराश नहीं करेंगे. जाते - जाते फिल्म का एकमात्र अच्छी चीज देखते जाइए. . .