प्रतिशोध – प्रेमचंद की कहानी

माया अपने तिमंजिले मकान की छत पर खड़ी सड़क की ओर उद्विग्न और अधीर आंखों से ताक रही थी और सोच रही थी, वह अब तक आये क्यों नहीं ? कहां देर लगायी ? पूरा पढ़ें...

प्रतिशोध – प्रेमचंद की कहानी

पैपुजी – प्रेमचंद की कहानी

सिद्धान्त का सबसे बड़ा दुश्मन है मुरौवत। कठिनाइयों, बाघओं, प्रलोभनों का सामना आप कर सकते हैं दृढ़ संकल्प और आत्मबल से। लेकिन एक दिली दोस्त से बेमुरौबती तो नहीं की जाती, पूरा पढ़ें...

पैपुजी – प्रेमचंद की कहानी

पुत्र-प्रेम – प्रेमचंद की कहानी

बाबू चैतन्यदास ने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था, और केवल पढ़ा ही नहीं था, उसका यथायोग्य व्यवहार भी वे करते थे। वे वकील थे, दो-तीन गांवों में उनकी जमींदारी भी थी, पूरा पढ़ें...

पुत्र-प्रेम – प्रेमचंद की कहानी

पत्नी से पति – प्रेमचंद की कहानी

मिस्टर सेठ को सभी हिन्दुसतानी चीजों से नफरत थी ओर उनकी सुन्दरी पत्नी गोदावरी को सभी विदेशी चीजों से चिढ़ ! मगर धैर्य ओर विनय भारत की देवियों का आभूषण है पूरा पढ़ें...

पत्नी से पति – प्रेमचंद की कहानी

पंच परमेश्वर – प्रेमचंद की कहानी

जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, पूरा पढ़ें...

पंच परमेश्वर – प्रेमचंद की कहानी

निर्वासन – प्रेमचंद की कहानी

रशुराम—पहले यह बताओं तुम इतने दिनों से कहां रहीं, किसके साथ रहीं, किस तरह रहीं और फिर यहां किसके साथ आयीं? तब, तब विचार...देखी जाएगी। पूरा पढ़ें...

निर्वासन – प्रेमचंद की कहानी

नादान दोस्त – प्रेमचंद की कहानी

केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अण्डे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़ियों को वहां आते-जाते देखा करते । पूरा पढ़ें...

नादान दोस्त – प्रेमचंद की कहानी

नागपूजा – प्रेमचंद की कहानी

प्रातःकाल था। आषाढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे ऐसे निखर गये थे जैसे साबुन से मैले कपड़े निखर जाते हैं। पूरा पढ़ें...

नागपूजा – प्रेमचंद की कहानी

नसीहतों का दफ्तर – प्रेमचंद की कहानी

बाबू अक्षयकुमार पटना के एक वकील थे और बड़े वकीलों में समझे जाते थे। यानी रायबहादुरी के करीब पहुँच चुके थे। जैसा कि अकसर बड़े आदमियों के बारे में मशहूर है, इन बाबू साब का लड़कपन भी बहुत गरीबी में बीता था। पूरा पढ़ें...

नसीहतों का दफ्तर – प्रेमचंद की कहानी

नशा – प्रेमचंद की कहानी

ईश्‍वरी एक बडे जमींदार का लड़का था और मैं गरीब क्‍लर्क था, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्‍पर बहसें होती रहती थीं। पूरा पढ़ें...

नशा – प्रेमचंद की कहानी