इस्तीफ़ा – प्रेमचंद की कहानी

दफ़्तर का बाबू एक बेज़बान जीव है। मजदूरों को ऑंखें दिखाओ, तो वह त्योरियॉँ बदल कर खड़ा हो जायकाह। कुली को एक डाँट बताओं, तो सिर से बोझ फेंक कर अपनी राह लेगा। पूरा पढ़ें...

इस्तीफ़ा  – प्रेमचंद की कहानी

उद्धार – प्रेमचंद की कहानी

हिंदू समाज की वैवाहिक प्रथा इतनी दुषित, इतनी चिंताजनक, इतनी भयंकर हो गयी है कि कुछ समझ में नहीं आता, उसका सुधार क्योंकर हो। पूरा पढ़ें...

उद्धार – प्रेमचंद की कहानी