अभागा बुनकर – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

एक नगर में सोमिलक नाम का जुलाहा रहता था । विविध प्रकार के रंगीन और सुन्दर वस्त्र बनाने के बाद भी उसे भोजन-वस्त्र मात्र से अधिक धन कभी प्राप्त नहीं होता था । पूरा पढ़ें...

अभागा बुनकर – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

व्यापारी के पुत्र की कहानी – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए। पूरा पढ़ें...

व्यापारी के पुत्र की कहानी – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

ब्राह्मणी और तिल के बीज – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

एक बार की बात है एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था, एक समय उनके यहाँ कुछ अतिथि आये, घर में खाने पीने का सारा सामान ख़त्म हो चुका था, इसी बात को लेकर ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्‍नी में यह बातचीत हो रही थी: पूरा पढ़ें...

ब्राह्मणी और तिल के बीज – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

गजराज और मूषकराज की कथा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

प्राचीन काल में एक नदी के किनारे बसा नगर व्यापार का केन्द्र था। फिर आए उस नगर के बुरे दिन, जब एक वर्ष भारी वर्षा हुई। नदी ने अपना रास्ता बदल दिया। पूरा पढ़ें...

गजराज और मूषकराज की कथा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

साधु और चूहा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

महिलरोपयम नामक एक दक्षिणी शहर के पास भगवान शिव का एक मंदिर था। वहां एक पवित्र ऋषि रहते थे और मंदिर की देखभाल करते थे। वे भिक्षा के लिए शहर में हर रोज जाते थे, पूरा पढ़ें...

साधु और चूहा – मित्र सम्प्राप्ति की कहानी

मूर्ख मित्र – मित्रभेद की कहानी

किसी राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था । वह राजा का बहुत विश्वास-पात्र और भक्त था । अन्तःपुर में भी वह बेरोक-टोक जा सकता था । पूरा पढ़ें...

मूर्ख मित्र – मित्रभेद की कहानी

जैसे को तैसा – मित्रभेद की कहानी

एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । पूरा पढ़ें...

जैसे को तैसा – मित्रभेद की कहानी

मूर्ख बगुला और नेवला – मित्रभेद की कहानी

जंगल के एक बड़े वट-वृक्ष की खोल में बहुत से बगुले रहते थे । उसी वृक्ष की जड़ में एक साँप भी रहता था । वह बगलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था । पूरा पढ़ें...

मूर्ख बगुला और नेवला – मित्रभेद की कहानी

मित्र-द्रोह का फल – मित्रभेद की कहानी

दो मित्र धर्मबुद्धि और पापबुद्धि हिम्मत नगर में रहते थे। एक बार पापबुद्धि के मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं मित्र धर्मबुद्धि के साथ दूसरे देश जाकर धनोपार्जन कर्रूँ। पूरा पढ़ें...

मित्र-द्रोह का फल – मित्रभेद की कहानी

गौरैया और बन्दर – मित्रभेद की कहानी

किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ा-चिडी़ का एक जोड़ा रहता था । अपने घोंसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे । पूरा पढ़ें...

गौरैया और बन्दर – मित्रभेद की कहानी